तमन्ना साथ जीने और दूर जाने की
तमन्ना साथ जीने और दूर जाने की
हमारी आम सी जिन्दगी में
कोई इन्सान बडा़ खास बन जाता हैं
जब वो आता हैं हमारी जिन्दगी में
तो हमें सब कुछ अच्छा सा लगता हैं
न कोई शिकायत रहती हैं खुदा से
न कोई शिकवा रहता हैं जिन्दगी से
बस एक तमन्ना होती हैं
उसके साथ जीने की,
जो आहिस्ता-आहिस्ता
आदत बन जाती हैं
बातों-बातों में रात बीत जाती हैं
चलते-चलते सफर कट जाता हैं
पर फिर अचानक से
पता नहीं क्यूँ
सब बदल जाता हैं
जब हमें पता चलता हैं
'खास नहीं हैं उसके लिए हम'
इस बात का कोई गिला नहीं होता
गम इस बात का होता हैं कि
यु आर स्पेशल फोर मी कहकर
आज भी फरेब करता है वो हमसे
फिर प्यार कहाँ रहता हैं
रहती हैं सिर्फ नफरत,
कुछ बिखरी सी यादें,
एक गहरा सा दर्द,
टूटा हुआ दिल और
बहुत सारी नफरत
बस एक ही तमन्ना रहती हैं अब
उसके शहर से
उसकी यादों से
और उससे
दूर जाने की तमन्ना।