उफान उड़ान का
उफान उड़ान का
बाहर उफनती ज्ञान की विशाल नदी से भीतर
झरना ध्यान का छोटू सा झरना भला।
इतना ना हो सका ज्ञान से बढ़कर प्यार सो भला
करने को तो बहुत कुछ सीखा दिया।
प्यार मोहब्बत इश्क़ वफ़ा पर
बेवफाई ना सिखा पाए
बेवरवाह मोहब्बत करते करते।
बेपरवाह बदमाशियां के मलकीयत से भरपूर
शहजादे सा उड़न खटोला में उड़ते गए।
कबूल करते करते किस बदली के
साथ उड़ते गए।
चांद की रोशनी में ऐसे चमकते सितारे की तरह
कोमल भावना को पहचानते रहे।
क्या एहसासों की बरसात हुए उसमें
एक दूसरी दुनिया के नज़ारे नज़र आने लगे।
सांसे थमने लगी, होंठ मुस्कुराने लगे
दिल की धड़कनें थम भी ना पाई
नज़दीक सांसों की गर्मी महसूस होने लगी।
क्या नज़ारे नज़र आ रहे थे
चांद की रोशनी दोनों के
जिस्म को पिघला रही थी।
मूदहोश नज़रें एक दूसरे से
बातें करने लगीं।
जिस्म से आत्मा के मिलन की ये
चांदनी गवाह बनने लगी।
क्या खुद नजारे में मिलन की ये रात
दोनों के हवा में डोलाने लगी।
मिसाल बनके कभी ना टूटने वाले
रिश्ते की पहचान बनने लगे।
किस्मत की लकीरों में
एक दूसरे का नाम लिखने लागे।