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Harshita Dawar

Inspirational

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Harshita Dawar

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एक सिर वाला रावण

एक सिर वाला रावण

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अजीब है एक सिर वाला रावण।

आप जानना भी चाहेंगे आखिर यह ये एक सिर वाला रावण आखिर कौन है ? जहां तक हम सब ने सुना है कि रावण के तो दस सिर थे लेकिन ये एक सिर वाला रावण आखिर कौन है ? 

दशहरा एक ऐसा उत्सव है, जहां हर साल रावण दहन का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जाता रहा है. लेकिन क्या आप लोग बता सकते हैं कि दशहरे का अभिप्राय ? शायद आप जानते भी हो, कुछ लोग इसे असत्य पर सत्य की जीत से भी जोड़ते रहते हैं लेकिन क्या वास्तव में असत्य पर सत्य की जीत होती है ? क्या हर साल रावण को जलाने से ही बुराई का अंत हो गया ? क्या इतने से ही रावण मर गया ? क्या पाप का नाश हो गया ? अगर रावण सालों पहले मारा गया था तो फिर एक सिर वाले रावण कैसे जीवित हैं ? 

आपके हिसाब से रावण मर गया था ,ये तो एक प्रतीक की तरह असत्य पर सत्य की जीत दिखाया जाता है.. या कुछ महीने की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बना कर रोदध कर फेंक दिया या वो रावन नहीं?

तो वो कौन है जिसने हाल ही में एक सात साल के मासूम बच्ची से बलात्कार करके उस मासूम की बेरहमी से जान लेकर एक मां की आंचल को सुना कर दिया तो वो कौन है जो बच्चियों को संरक्षण देने के लिए बनाए गए शेल्टर होम में बच्चियों से दरिंदगी कर रहा है क्या वो रावण नहीं ?            

वो कौन है जो बाबा बनकर लड़कियों का धर्म के नाम पर यौन शोषण कर रहा है,क्या वो रावण नहीं ?

आखिर वो कौन है जो दहेज के नाम पर बहूओं को जला रहा है क्या वो रावण नहीं ? आखिर वो कौन है जो तड़पते हुए व्यक्ति को मरता छोड़ कर वीडियो बनाने में इतना व्यस्त है कि उसे किसी की तड़प नहीं दिखती क्या वो रावण नहीं है ?  

तब वह कौन है जो 5 साल की बच्चियों से हवस पूरी करके उनकी आंखें निकाल लेता है उनके नाजुक शरीर से इतनी खिलवाड़ करता है कि उस बच्ची की लाशें भी चिल्ला चिल्ला कर अपना हक मांगती है।

 दिल दहल उठता है जब ये पता चलता है कि उस बच्ची के साथ ये कुकर्म करने वाला उसका अपना ही होता है ,क्या वो रावण नहीं है ?               

आप सभी से मेरा सवाल है,आखिर वो कौन है ? इतने कुकर्म तो रावण भी नहीं करता था .. वास्तविकता है कि ऐसे कुकर्म से रावण भी लज्जित हो जाता होगा।

एक कवि ने एक बात कही थी जो यहां बताना जरूरी है। कुछ लोग रावण जला रहे थे और हम नासमझ भीड़ से ही पूछ बैठे.. आखिर तुम में से राम कौन है..? धिक्कार होता है ऐसे लोगों पर यही लोग एक सिर वाले रावण यानी आज के रावण होते हैं. त्रेता युग के रावण के पास दस सिर होते थे और उसने सिर्फ एक सीता से दुर्व्यवहार किया था लेकिन आज सिर्फ एक सिर वाला रावण न जाने कितनी स्त्रियों से हर वक्त, हर रोज दुर्व्यवहार करते रहते है त्रेता युग में एक राम और सिर्फ एक रावण थे, आज जिधर देखो रावण ही रावण है राम कहीं नहीं।

आज के रावण के पास भले एक सिर हो पर वो उन दस सिर वाले रावण से ज्यादा खराब मानसिकता लिए घूम रहा है।  

कभी कभी तो ऐसा लगता है कि रावण ने स्वर्ग जाकर रक्तबीज जैसे दैत्य से संधि कर ली हो.. क्योंकि हर साल जितने व्यापक स्तर पर रावण का दहन होता है उतनी ही रावण उसे जलता देख कर तैयार होते हैं.

अब तो समाज के इन कलंकों की उस दस सिर वाले रावण से तुलना करें तो डर लगता है कहीं रावण बुरा ना मान जाए क्योंकि दशानन रावण को आज भी उसकी कुछ अच्छी यादों के लिए याद किया जाता है।

 रावण भले विदेशी था, पर उसके अनुयायी शत प्रतिशत स्वदेशी हैं उनके देश लंका में तो भारत से कम नारी उत्पीड़न के मामले सामने आते है....

वह भी उस देश में जहां प्रत्येक वर्ष रावण दहन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है।

 क्योंकि भारत जैसे देश में ऐसे ऐसे करोड़ों रावण चेहरे पर चेहरा लगाएं घूम रहे है सच बता रहा हूं आज अगर राम भी होते हैं तो रावण का वध नहीं कर पाते क्योंकि आज रावण कोई व्यक्ति नहीं एक सोच बन चुका है।

एक बुरी मानसिकता बन चुका है तो आप सब से मेरा सवाल ये है ,और उन तमाम ऐसी बुरी सोच वालो को सख्त चेतावनी भी है बंद करो, ये तमाशा मत जलाओ रावण को अगर रावण को राक्षस कहते हो तो उससे कई गुना गंदी सोच तुम रखते हो ,तो फिर खुद को क्यों नहीं जलाते हो ? रावण ने जो किया उसकी सजा उसे मिल गई, पर आप आज जो कर रहे हो उसके बारे में कभी सोचा है ?


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