Harshita Dawar

Abstract

5.0  

Harshita Dawar

Abstract

लेडी यू आर बॉस

लेडी यू आर बॉस

1 min
505


ना थामुगी।ना रुकुगी।ना झुकुगी।

तुम कोन हो मुझे जज करने वाले।

मेरे खुदा ने बक्षी ये ज़िन्दगी मेरी।

मेरी है ये ज़िन्दगी।

जिस्म मेरा तो कपड़े भी मेरे होंगे।

तुम कोन हो मुझे जज करने वाले।

मैं खूद अपने पथ का अलोचहन करुंगी।

असमंजस में फंसे दिल को खुद अपनी डगर चुनने दुंगी। 

डर का सामना करूंगी।आगे बढ़ कर कुछ अलग करुंगी।

ज़िन्दगी के हर मोड़ पर ये दर्द मेरे छिपें घाव को कुरेदे जाएगा।

ये डर उसको नीचा दिखाएगा।

क्या डर मुझको लिख कर देगा के मुझे रोक पायेगा।

मेरी हर कमज़ोरी को ये दर्द मुझे डराएगा।

ये डर को मैं धकेल कर कुछ अपना हुनर दिखाऊंगी।

कुछ ऐसा कर जाऊंगी ।कुछ ऐसा कर जाओगी।

लेडी बॉस नहीं। लेडी लायनेस बन जाएगी।

खुद ही को नहीं अब अपनी बेटी को लायनेस बना लुंगी ।

   


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract