अख़लाक़ अहमद ज़ई

Classics

4.0  

अख़लाक़ अहमद ज़ई

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उहापोह

उहापोह

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उसने मुझसे कहा --

"इस समय मैं उहापोह की स्थिति में हूँ।" 

"क्यों ?" सवालिया निशान लिए मैंने पूछा। 

"मुझे अपनी एक पुस्तिका प्रकाशित कराना है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित करूं या सीधा प्रकाशक से संपर्क करूं?" 

इस बार सवालिया निशान लिए वह मेरे सामने खड़ा था और मैं निरुत्तर था।


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