त्याग है प्यार
त्याग है प्यार
प्यार एक ऐसा एहसास हैं जो इंसान की धर्म, जाति, उम्र नहीं देखती। बस प्यार हो जाता है उससे जिसके आने से दिल धड़कने लगता है।
उससे पहली बार मुलाकात हस्पताल में हुई। देखते ही ऐसा लगा कि बस उसे देखते ही रहूं। पता नहीं एक अजीब सी जलन होने लगी जब कोई उसके आसपास आने लगा। रानी डॉ. शाह से मिलने हस्पताल गई थी। डॉ.शाह उसके परिवार के सदस्य के जैसे ही थे। वह कभी कभी उनसे मिलने के लिए हस्पताल चली जाती है।
आज उसकी नजर एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी जिससे वह बार बार देखने के लिए बेचैन हो रही थी। वह व्यक्ति डॉ.राय थे। और उन्होंने ने हाल ही में हस्पताल में काम करना शुरू किया। रानी कोई चीज उनकी ओर आकर्षित कर रही थी। लेकिन रानी इस बात को समझ नहीं पा रही थी। डॉ.शाह से मिलने के बाद वह उस डॉ. को देखने के लिए पूरे हस्पताल में घूमने लगीं। अचानक से उस डॉ. ने रानी को देखा और सोचने लगा कि यह लड़की कब से उसे देखे ही जा रही है। और दूसरी तरफ रानी उसे ढूंढते ढूंढते परेशान हो गई। फिर अगले दिन रानी हस्पताल में आईं और बीमार होने का नाटक करके डॉ. राय से मिलने गई। डॉ.राय ने रानी को देखा और कहा कि आप को बहुत गंभीर बीमारी है, और इसका कोई इलाज नहीं है। रानी घबरा गई और वह डॉ. राय से पूछा कि उसे कौन सी बीमारी है। डॉ. ने बताया कि आप को किसी से प्यार हो गया है। रानी समझ गई और उसने डॉ. राय से कहा कि वह उनसे प्यार करने लगी है। डॉ. ने बताया कि वह शादी शुदा है, और उनकी एक लड़की भी है। लेकिन उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। डॉ. राय ने कहा कि वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते हैं, और वह अपनी पत्नी की जगह किसी और को नहीं दे सकते।
रानी सारी बात समझ चुकी थी। उसने डॉ. राय की बेटी को प्यार दिया। और ज़िंदगी भर उनसे प्यार करती रही। लेकिन उनसे दूर रह कर। प्यार इसे ही कहते हैं। दूर रहकर भी वह उसे अपने पास महसूस करती थी।
त्याग है प्यार। और इस त्याग से रिश्ते कमजोर नहीं होते बल्कि और मजबूत हो जाते हैं।