औलाद की खुशी।

औलाद की खुशी।

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जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उनके जीवन में अपने माता-पिता से ज्यादा मोह अपनी पत्नी के लिए हो जाता है। जिस माता-पिता ने उसकी ऊंगली को पकड़कर चलना सिखाया था, आज वही संतान के हाथ में किसी और का हाथ दे दिया। तो माता पिता की ऊंगली छोड़ दी। अगर कभी पिता ने राय या सुझाव दी तो वह सनकी बुड्डा लगने लगता है।

राहुल अपने माता-पिता से बहुत प्यार करता था और वह उनकी हर बात मानता था। बचपन से लेकर आज तक उसके माता-पिता ने उसे संभाला। अब उसकी शादी होने वाली है और उसे किसी और को संभालना है। राहुल अपने जीवन की हर बड़े फैसले अपने माता-पिता से पूछ कर लेता था। ऐसे ही जीवन की गाड़ी कुशल मंगल से चल रही थी। शादी के कुछ दिन बाद राहुल के व्यवहार में बदलाव आया अपने माता-पिता को लेकर। वह उन पर बिना किसी वजह के ही चिल्ला पड़ता। राहुल के इस व्यवहार से उन्हें बहुत तकलीफ़ हुई। लेकिन उन्होंने ने अपने आप को समझाया कि काम ज्यादा होने की वजह से राहुल परेशान है। लेकिन राहुल यह व्यवहार हर बार करता। एक दिन राहुल के पिता ने उसे स्वास्थ्य के लिए सलाह दी‌। यह सब सुनकर राहुल की पत्नी ने कहा कि बुड्ढे की सनक गई है। मेहंगाई इतनी और ये अपने बड़े बड़े सुझाव दे रहे हैं। राहुल की पत्नी धीरे धीरे उसके माता-पिता के साथ बहुत गंदा व्यवहार करने लगी। और राहुल इस बात को लेकर अपनी पत्नी से कुछ नहीं कहता। यह सब देख कर राहुल के माता-पिता ने गांव जाने का फैसला लिया। और वह दोनों कुछ दिन बाद गांव जाने के लिए निकल पड़े। राहुल ने ना ही उन्हें रोका और ना ही उन्हें छोड़ने के लिए स्टेशन गया।

जब बच्चे को माता-पिता की जरूरत होती है तो माता पिता अच्छे हैं और जब उनकी जरूरत नहीं होती तो वह बोझ बन जाते हैं। अगर छोटा बच्चा गलती करता है तो माता पिता को लगता है कि उसने कोशिश तो की। लेकिन अगर माता-पिता से बुड्ढापे में गलती हो जाती है तो वह सनकी और पागल बन जाते हैं अपनी संतान के लिए।


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