जीने की वजह।

जीने की वजह।

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हर किसी के जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जिसके होने से बहुत कुछ लगता है। और वह व्यक्ति जान से भी ज्यादा प्यारे होते हैं।

राधा की शादी हो गई थी। वह अपने ससुराल में अपने बच्चे के साथ रहतीं थीं। और राधा के पति को गुजरे ५ साल हो गए थे। राधा के बच्चे को दिमागी बीमारी थी। और उसके इलाज में बहुत पैसे भी खर्च हो रहे थे। लेकिन राधा ने हार नहीं मानी। राधा एक बड़ी सी कंपनी में काम करती थी। और वह अपने बच्चे के लिए वो हर चीज करती जिससे उसकी दिमागी हालत ठीक होने की उम्मीद ज्यादा थी।

राधा अपने बच्चे के लिए सब कुछ कर रही थी। लेकिन उसके बच्चे की तरफ से कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। राधा ने अपने बच्चे को स्कूल भेजना शुरू कर दिया। लोगों ने उसे समझाया कि जितने भी दिन की जिंदगी उसके बच्चे के पास है वह सारे दिन उसके साथ अच्छे से बीता ले लेकिन राधा ने किसी की भी बात नहीं मानी। और वह अपने बच्चे के साथ वह हर चीज करने लगी जो एक साधारण बच्चे के साथ किया जाता है।

आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका बच्चा ठीक हो गया। सब कुछ ठीक हो गया था। लेकिन एक दिन उसके बच्चे की हालत बहुत गंभीर हो ग‌ई। राधा को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, कि वह क्या करे। डॉ. ने बताया कि उसकी किडनी खराब हो गई है। राधा को कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो सिर्फ रोये जा रही थी। डॉ. ने बताया कि उसके बच्चे को बचाया जा सकता है। उसे अपनी किडनी अपने बच्चे को देनी होगी। राधा तैयार हो गई और उसने अपनी एक किडनी अपने बच्चे को दे दी।

डॉ. ने राधा को बताया था कि वह और उसका बच्चा ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे। इस ओप्रेशन के बाद। यह बात जानते हुए भी उसने इस ओप्रेशन के लिए हां बोल दिया था।

राधा बस इतना ही चाहती थी कि वह अपने जान के साथ जिये भी और मरे भी। और उसकी जान उसके बच्चे में थी।


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