तुम्हारी मुस्कुराहट
तुम्हारी मुस्कुराहट
कभी कभी यूँ होंठो को दबा कर जब मुस्कुराती हो तुम,
न जाने कितने राज अपने सीने में दबा जाती हो तुम,
नादान दिल यही सोंचता रहता है अक्सर,
वो कौन सी बात है तुम पसंद करती हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।
इन मुस्कुराहटों में अपने अश्क़ छुपा जाती हो तुम,
कभी कभी तो मेरे दिल के हर तार जगा जाती हो तुम,
तीर दिल पर बस चलते जाते है अक्सर,
वो कौन सा नक्श है जो तुम दिखलाती हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।
न जाने कौन सी बात छुपा ले जाती हो तुम,
न जाने कौन सी बात कह जाती हो तुम,
मैं तो समझ ही नही पाता अक्सर,
ये मर्म कभी नही बतलाती हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।
इन दबे होठों से जब यौवन का रस बरसाती हो तुम,
कुछ न कहकर भी सब कुछ कह जाती हो तुम,
दिल को सुकून सींचता है अक्सर,
वो कौन सा मरहम है जो तुम लगाती हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।
कई महीनों तक इंतजार कराती हो तुम,
एकाएक एक दिन सामने आ जाती हो तुम,
मै तो हकबका सा हो जाता हूँ अक्सर,
ये फ़लसफ़ा तो कभी समझाती नही हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।
कौन सी फ़न है जो दिल में छुपा जाती हो तुम,
इन मुस्कुराहटों में बेइंतहा प्यार छुपा जाती तो तुम,
एक अनजान सा एहतराम छुपा होता है अक्सर,
ये रास्ता नही कभी समझाती हो,
जब तुम अपने होठों को दबाकर मुस्कुराती हो।