Devendra Tripathi

Inspirational

4.0  

Devendra Tripathi

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विविधता में एकता

विविधता में एकता

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आज सुबह से ही गाँव के प्राइमरी विद्यालय में बहुत चहल पहल है। आज विद्यालय में कुछ लोग आने वाले है, इसलिए सभी लोग तैयारी कर रहे है। विद्यालय रोज की तरह साफ सुथरा है और सबकुछ बहुत व्यवस्थित है। विद्यालय के समय से ही धीरे धीरे सभी बच्चे विद्यालय की ओर आने लगते है। गुब्बारे और सजावट हो जाने से विद्यालय और सुंदर लगने लगा है। गाँव के बच्चे आज विद्यालय को देखकर बहुत खुश है।

स्कूल की घण्टी बज चुकी है, सब विद्यार्थी प्रार्थना कर अपने अपने कक्षा में बैठ चुके है। सबके मन में बड़ी उत्सुकता है कि आज क्या होने वाला है.......

कक्षा का एक बच्चा प्रेम अपने शिक्षक से- सर, आज विद्यालय इतना क्यों सजाया गया है....आज तो कोई दिवस भी नही है, क्या आज कुछ पर्व या समारोह है?

शिक्षक- हाँ! आज ३१- अक्टूबर है, और आज हम राष्ट्रीय एकता दिवस मनाएंगे।

प्रेम- राष्ट्रीय एकता दिवस????.......ये नाम तो हमने पहले कभी नहीं सुना.....क्या होता है सर? मुझे जानना है.....

प्रेम की तरह ही कक्षा के अन्य विद्यार्थियों के मन में और चेहरे पर बहुत बड़ा सवालिया निशान दिख रहा है????

शिक्षक- बस, थोड़ी देर और....फिर आज हम सब इस दिवस के बारे में विस्तार से बातचीत करेंगे। समझ गए सभी लोग....

जी सर! एक सुर में सभी बच्चों की आवाज कक्षा में गूँजती है।

पहला घण्टा खत्म ही हुआ था, कि एक जीप विद्यालय के अंदर प्रवेश करती है। जीप से दो लोग उतरते है, जो जिले से विद्यालय में एकता दिवस के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने आये है।

प्रधानाचार्य महोदय सबका स्वागत कर अपने कक्ष की ओर लेकर जाते है। बातचीत के बीच ही आगन्तुक अधिकारीगणो को विद्यालय दिखाते है और मीटिंग हॉल की तरफ चलने के लिए आमंत्रित करते है। दूसरी तरफ विद्यालय के सभी बच्चों को मीटिंग हॉल में इकट्ठा कर बैठाया जाता है। सभी बच्चों के बैठते ही स्टेज पर प्रधानाचार्य महोदय के साथ दोनों आगन्तुक महोदय भी आते है।

सबके हॉल में प्रवेश करते ही सभी बच्चे उठकर उनका अभिवादन करते है....

प्रधानाचार्य महोदय उठकर सभी बच्चों का आगंतुकों से परिचय करवाते है।

प्रधानाचार्य महोदय- बच्चों आज बहुत हर्ष का विषय है कि हमारे बीच में जनपद से दो अधिकारीगण जो हमारे संरक्षक भी है, हमारे विद्यालय में पधारे है। इस अवसर पर हम सब अपने अतिथियों का बहुत स्वागत करते है।

सभी विद्यार्थी तालियाँ बजाकर स्वागत करते है। कार्यक्रम शुरू होता है........

प्रधानाचार्य महोदय जनपद से आये आगन्तुक महोदय जी को मंच पर राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में बच्चों को बताने के लिए आमंत्रित करते है।

"मैं विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय, का आज मुझे यहाँ बुलाने और यह अवसर प्रदान करने के लिए बहुत धन्यवाद देता हूँ।"- मेरे प्यारे बच्चों मेरा नाम विनय है।

"- मैं भी आपके प्रधानाचार्य महोदय की तरह जनपद में काम करता हूँ।"

मैं आज आप सभी लोगों को कोई भाषण नहीं दूँगा, बस हम मिलकर आज इस दिवस की अवधारणा और महत्ता के ऊपर चर्चा करेंगे। साथ ही मैं कुछ प्रश्न भी करूँगा। आज किसी को कोई दंड नहीं मिलेगा, लेकिन जो मेरे प्रश्नों का सही जवाब देगा उसे मैं कुछ उपहार दूँगा.....

सभी बच्चों में थोड़ी सुगबुगाहट शुरू हो जाती है।

"-तो चलो हम लोग शुरू करें मेरे प्यारे बच्चों"- विनय जी बोलते है।

सभी बच्चे एक सुर में- जी सर!

"-लेकिन उसके पहले आप सभी को एक वादा करना पड़ेगा- जिसको उत्तर बताना होगा, वो सबसे पहले हाथ उठाएगा... जिसका नाम प्रधानाचार्य जी मुझे बताएंगे, मैं उसी का उत्तर सुनूंगा और अगर उत्तर सही होगा तो उसे उपहार दूँगा।"- विनय जी बोलते है।

चलो हम लोग शुरू करते है-

भारत का पहला उपप्रधानमंत्री कौन था?- विनय जी पहला प्रश्न पूछते है।

प्रश्न पूछते ही बहुत से हाथ उठ जाते है.......

प्रधानाचार्य एक बच्चे की ओर उँगली उठाते हुए-

बच्चा खड़ा होता है और प्रधानाचार्य पहले नाम, कक्षा और फिर उत्तर बताने के लिए बोलते है......

सर, मेरा नाम शिवम है और मैं पाँचवीं कक्षा का छात्र हूँ....सर! सरदार वल्लभभाई पटेल हमारे देश के पहले उपप्रधानमंत्री थे।

विनय जी- एकदम सही जवाब दिया तुमने...... बहुत अच्छे शिवम......पूरा हॉल तालियों से गूँजने लगता है। अपने बैग से एक उपहार शिवम को देते है।

विनय जी बताते है कि सरदार वल्लभभाई पटेल हमारे पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने थे।

"बच्चों एक चीज और जानने की जरूरत है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने देश के बहुत से राज्यों को भारत संघ में शामिल और सहमत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मतलब सबको एक जुट और एक साथ लाने में बहुत महती भूमिका निभाई थी।"

दूसरा प्रश्न- भारत देश का लौह पुरुष किसको कहा जाता है?

थोड़े कम बच्चों ने हाथ उठाये, फिर प्रधानाचार्य जी ने एक बच्चे की ओर इशारा किया......

मेरा नाम प्रेम है। मैं कक्षा छः में पढ़ता हूँ। सरदार वल्लभ भाई पटेल।

विनय जी- बिल्कुल सही बताया तुमने प्रेम! बहुत अच्छे, आओ और अपना उपहार ले जाओ...... सब बच्चे तालियाँ बजाने लगते है...

चलो अगला प्रश्न-

विनय जी- सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन कब होता है?

किसी का हाथ नहीं उठता है, सब लोग एक दूसरे का मुँह देखने लगते है।

देखकर विनय जी बोलते है- "-परेशान होने की कोई बात नहीं है,

सरदार पटेल का जन्म ३१ अक्टूबर को हुआ था और हम सब लोग इसी दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते है।"

हमारे साथ अशोक जी आये है जो सरदार वल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में हम सबको बहुत अच्छे से बताएंगे- आइये अशोक जी! आपका स्वागत है......

अशोक जी- विनय जी को धन्यवाद देते हुए बच्चों को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में बताते है।

"-३१ अक्टूबर, १८७५ को पैदा हुए सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जैसा अभी विनय सर ने बताया कि वह भारत देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी थे। भारत के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने बहुत अच्छे अच्छे काम लिए और सबको एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारत की राजनीतिक एकता से समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने भारत देश के अंदर ही अनेक राज्यों की नींव रखने का विचार रखा। अपनी फौलादी इच्छा शक्ति के कारण, उन्हें "भारत का लौह पुरुष" भी कहा जाता है।"- समझे बच्चों! इसीलिए उन्हें लौह पुरुष कहा गया.....

"-अभी कुछ साल पहले २०१४ में सरदार पटेल की १८२ मीटर की लौह प्रतिमा साधू बेट नामक स्थान जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू जो गुजरात राज्य के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थापित की गई और इसके बाद २०१४ से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।"- अच्छा लगा न सुनकर सबको.....

सब बच्चे ताली बजाने लगते है।

अशोक जी- अब एक चीज और जो विनय जी ने तुम लोगों को नहीं बताई??

"सब बच्चे बड़ी उत्सुकता से अशोक जी को देखते हुए????? मैं बताता हूँ"- अशोक जी बोलते है।

आप सभी के लिए उपहार है....लेकिन पहले एक प्रोमिस करना होगा सबको.......

सब बच्चे....क्या क्या? करना होगा????? बच्चे बोलने लगते है।

अशोक जी- बस आप सबको अपने घर में, आसपास के लोगों को सरदार पटेल और राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में बताना है। बताओगे या नहीं?

सभी बच्चे जोश से- बताएंगे सर! और जोर जोर से ताली बजाने लगते है।

अशोक जी- बहुत धन्यवाद!

प्रधानाचार्य महोदय- विनय जी और अशोक जी को धन्यवाद देते है और बच्चों को बताते है कि हमारा देश जो विविधताओं से भरा है, जहाँ धर्म, जाति, सभ्यता, संस्कृति और भाषा की एकता को बनाये रखना अत्यंत आवश्यक है। सरदार पटेल ने इन सब का बहुत ध्यान रखा और सबको भारत संघ के अंदर एकजुट किया इसलिए हमारे देश को विविधता में एकता का देश कहा जाता है।

पूरा हॉल बच्चों की तालियों से गूँजने लगता है।

प्रधानाचार्य जी सभी बच्चों को प्रांगण में इकट्ठा होने के लिए बोलते है और फिर सभी बच्चे विद्यालय के प्रांगण में इकट्ठा होकर मानव श्रृंखला बनाकर राष्ट्रीय एकता दिवस का उत्सव मनाते है। 

प्रधानाचार्य महोदय, अशोक जी, विनय जी और शिक्षक गण सभी बच्चों को उपहार देते है और फिर विद्यालय की घण्टी बज जाती है।

सभी बच्चे राष्ट्रीय एकता की मशाल बनकर अपने अपने गाँव के कोने कोने तक राष्ट्रीय एकता दिवस की महत्ता और अवधारणा को जन जन तक पहुँचाने का काम करते है।


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