तुम बिन

तुम बिन

2 mins
296


शारदा उठी तो उसने देखा की शरद कमरे में नहीं थे।

मेज पर चाय ढकी और बिस्कुट का डिब्बा भी रखा था। उससे रोज सुबह जल्दी उठा नहीं जाता था। शरीर ढेर सारी बीमारियों का घर हो चुका था। रोज़ सुबह शरद चाय की प्याली लिए मुस्कुराते हुए उठाते थे। 

बेटा विदेश में रहता था। बेटी का विवाह भी दूसरे शहर में किया था, सेवा निवृत  हुए भी लगभग दस बारह वर्ष हो चुके थे। घर काफी बड़ा था पर उसमे दो ही प्राणी थे। रात को तो कोई ऐसी बात भी नहीं हुई, अक्सर नोक- झोक होती रहती थी पर आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ। 

शारदा ने सारा घर छान मारा पर शरद घर तो क्या आस पास कहीं नहीं थे। उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, आखों से आंसू बह रहे थे। बिन बताये तो कहीं जाते ही नहीं थे।

फ़ोन भी करूँ तो कैसे कई दिनों से मोबाइल भी खराब पड़ा था। क्या करूँ ? कैसे हैं ? कहा हैं ? ठीक तो होंगे ? बुरे बुरे ख्याल चल रहे थे। एक अजीब सी घुटन हो रही थी उसे। तभी दरवाज़े की घंटी बजी, उसने खोल कर देखा तो वहाँ फूलों का गुलिस्तां, गिफ्ट और एक कार्ड था। 

बेमन सी होकर उसने खोलकर देखा उसमे मोबाइल था और कार्ड पर लिखा था। शादी की सालगिरह मुबारक हो शालू। सामने शरद खड़े मुस्कुरा रहे थे। शारदा रुआँसी सी होकर उन्हें देख रही थी। उन्होंने उसे झट से गले लगा लिया और बोले-अरे पगली मैं कहाँ जाऊंगा तुम्हें छोड़कर। मेरी जिंदगी तो कुछ भी नहीं तुम बिन।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance