पापा तुसी ग्रेट हो
पापा तुसी ग्रेट हो
एक दिन रोशन अपने दोस्त रेयान के घर गया। दरवाजा खुलते ही उसका पैर चप्पल पर पड़ा। वह गिरते-गिरते बाल-बाल बचा। दरवाजे के पास चप्पलों का ढेर, बिखरे सोफे के कवर, नीचे गिरा टेबल क्लॉथ, कोई भी चीज सलीके से नहीं थी। सारा घर अस्त-व्यस्त पड़ा था। दिन में भी बल्ब जल रहे थे। ऐसी, कूलर, पंखे हर कमरे में बिना जरूरत के चल रहे थे। साथ चलने के लिए रेयान ने अलमारी कमीज निकालनी चाही तो सारा कपड़ों का ढेर नीचे गिर गया। उसने कमीज निकालकर उस ढेर को बड़े बेढंगे तरीके से अलमारी में ठूस दिया। रेयान के छोटे भाई ने तो उसे हेलो तक नहीं कहा।
रेयान के घर से निकलते वक्त वो सोच रहा था। उसे अपने पापा के हर बात फटकार सी मालूम होती थी। अभी तुम इतने बड़े नहीं हुए हो जो चाहे करो। तो कभी-अब तुम इतने बड़े हो गए हो ये भी नहीं कर सकते। हर बात में लेक्चर- हर काम सलीके से करो। मेहनत से पढ़ाई करो। बड़ों का आदर छोटों से प्यार करो। लाइट बंद करो जरूरत के हिसाब से पानी खर्च करो। बर्तन में जूठा मत छोड़ो। टीवी मोबाइल काम देखो। न चाहते हुए भी उसे पापा के हर बात माननी पड़ती थी। वह घर के छोटे- बड़े काम सीख चूका था।
वह कई बार सोचता था की उसके दोस्त रेयान के पापा कितने अच्छे हैं। जो भी करता है उसके पापा कभी मना नहीं करते। काश रेयान का घर मेरा घर होता रेयान के पापा मेरे पापा होते। पर आज उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। बरबस ही उसके मुँह से निकल पड़ा-"पापा तुसी ग्रेट हो।"