टूटे रिश्तों कि सिसक
टूटे रिश्तों कि सिसक


इंसानी जिंदगी तो रिश्तों के इर्द गिर्द ही घूमती है, फिर चाहे वो रिश्ता खून का हो चाहे भरोसे और विश्वास का। फर्क बस इतना है कि खून का रिश्ता मिटाएं नहीं मिटता और भरोसे का रिश्ता एक बारी टूट जाए तो जुटाए नहीं जुटता। तभी तो आज इतने बरस बाद भी लता के जहन में वो दर्द बरकरार है और इसलिए जब भी बात भरोसे, प्यार और विश्वास की होती है वो घबरा जाती है, चिड़चिड़ा जाती है। ऐसा स्वभाव लता का होना लाजिमी भी है उसने कभी नहीं सोचा था कि उसके साथ कभी ऐसा कुछ होगा। आर्यन, लता का खास दोस्त जिसके सहारे उसने अपने जीवन के हसीन सपने को देखा था, उम्मीद और ख्वाब के पंख लगा कर थोड़ी उड़ान भी भरी थी, उस वक्त लता अपने आने वाले तूफान से बेखबर, अंजान बस अपने वर्तमान पल के आगोश में लिपटी जिंदगी को जी रही थी। उसे आज भी याद है वो कालेज के दिन जब उसने पहली बार आर्यन को देखा था और आर्यन ने कैसे उसका रैगिंग लिया था। जहां वो डर से रोने लगी थी और फिर कैसे आर्यन ने उसे बिना कुछ बोले वहां से जाने को कह दिया और फिर धीरे धीरे बीते वक्त के साथ साथ इनकी दोस्ती आंखों से शुरु होकर दिल की गहराई तक पहुंच गई, और फिर रोज रोज कि मुलाकातें उनके प्यार को और अंकुरित कर रहे थे। लता अब आर्यन को अपने दोस्त से बढ़ कर देखने लगी थी, उसे आर्यन में अपने सपनों के जीवन साथी की छवि नजर आने लगी थी। कालेज में भी इनकी दोस्ती आग की तरह फैल चुकी थी। अभी कुछ दिन में इस साल का अंतिम इम्तिहान होने वाला था और उसके बाद सारे स्टुडेंट को अपने अपने मंजिल के तरफ आगे पढ़ना था, मतलब कालेज की जिंदगी खत्म और नौकरी वाली जिंदगी की शुरुआत। आज अंतिम दिन था काल
ेज का और कहीं ना कहीं आने वाले जिंदगी की उमंग के साथ बिताए हुए साथियों के साथ का पल दिल में मायूसी को कुरेद रही थी। लता और आर्यन का भी यही हाल था। खैर, सब अपने अपने घर को निकल गए।और अब इधर लता भी रोज आर्यन से फोन पर बातें करने लगी। समय का पहिया धीरेे धीरे आगे बढ़ने लगा। अभी कुछ दिन हुए ही थे कि लता को ऐसा आभास हुआ कि आजकल आर्यन कुछ बदला बदला सा लग रहा है उसने इस बारे में बात भी करने की कोशिश की आर्यन से परन्तु उसने मना कर दिया, पर कुछ तो था तभी तो अब रोज बात भी नहीं हो रही थी दोनों में। एक दिन बिना आर्यन को बोले लता उससे मिलने दिल्ली चली आई, उसे देखकर आर्यन खुश नहीं हैरान हो गया। लता समझ नहीं पा रही थी कि आखिर बात क्या है, और फिर लता ने बातों बातों में शादी की बात छेड़ डाली, जिस पर आर्यन घबरा सा गया उसने लता से कहा कि अभी शादी करना बहुत जल्दबाजी हो जाएगी थोड़ा रूक जाते हैं प्यार में अंधी लता उसकी बातों पर भरोसा कर बैठी। खैर, लता वापस अपने घर आ गई पर अब सब कुछ बदल चुका था, लता फोन तो हर बार करती पर आर्यन कोई न कोई बहाना बना कर बात करने से बचते रहता था। और फिर एक दिन आर्यन का वो नम्बर भी बंद हो गया। लता इससे पहले कि कुछ समझ पाती उसे पता चल गया कि आर्यन ने किसी और से शादी कर ली। आर्यन का कभी भी अपने शादी को लेकर सीधी बात न करना लता को आज समझ आ रहा था। उसके टूटे हुए ख्वाब, अनकही ख्वाहिश, सागर की गहराई वाला प्यार सब बिखड़ चुका था। लता के टूटे हुए दिल का जख्म वक्त के साथ भर तो गया था पर दिल पर लगा वो निशान अब भी लता को अपने बेवफा प्यार की याद दिला देता है।