Mitali Mishra

Tragedy Classics Inspirational

3  

Mitali Mishra

Tragedy Classics Inspirational

परिवार

परिवार

6 mins
375


हर मनुष्य का जीवन परिवार से ही तो बंधी होती है और ये परिवार हमें हमारे हर दुख सुख का, हमारे संघर्ष का, हमारे कामयाबी की गवाह होती है।दुनियां में भले ही आपके दोस्त आपके शुभचिंतक आपसे नाराज होकर बीच राह में आपसे मुंह मोड़ लें परंतु ये परिवार कितना भी आपसे नाराज क्यों न हो कभी भी जरूरत के वक्त आपको बीच राह में यूं अकेले नही छोड़ सकती।

परिवार के साथ होने से जो बल मिलता है,जो सकारात्मक ऊर्जा मिलती है,जो सुकून मिलता है उस अहसास का अनुमान लगाना मुश्किल है।मेरी ये कहानी एक ऐसे ही परिवार के बारे में है जिसमें मनमुटाव की वजह से दरारें तो आ गई हैं परंतु वक्त के साथ वो दरार खत्म भी हो गई। सीनू अपने परिवार की सबसे लाडली बच्ची थी वैसे तो मां बाप को इकलौती बेटी थी परंतु अपने लंबे चौड़े परिवार की सबसे छोटी और सबकी प्यारी बच्ची थी।सबका लाड प्यार सोनू को हमेशा बिना मांगे मिलता ही चला गया।धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और वक्त के साथ-साथ सिनू भी बड़ी होती गई।परिवार के और बच्चों की शादी अब तक हो गई थी चुकीं सीनू सबसे छोटी थी परिवार में सो अब उसकी बारी भी आ ही गई।परंतु सिनू अभी और पढ़ना चाहती थी वो अपना सपना पूरा करना चाहती थी।सो अपने परिवार से इस बारे में बात करने की सोची।पहले तो किसी ने उसकी बात नही मानी परंतु अपनी दादा-दादी की इतनी लाडली थी की उन्होंने बाद में हां कर दी। हां की खबर सुनते ही सीनू को लगने लगा की वो अब अपना सपना जरूर पूरा कर सकेगी।अंततः वो समय भी आ गया जब सीनू को अपने आगे की पढ़ाई के लिए उस शहर को ,अपने प्यारे से परिवार को छोड़ कर जाना पड़ गया, इस तरह सीनू अपने सपने को पूरा करने निकल पड़ी।पहली बार इस तरह घर से दूर आना,अपनों से बिछड़ना बुरा तो लग रहा था पर अपने मन को समझा कर सिनू वहां पढ़ाई में जुट गई।और अंततः वो वक्त भी आ गया जब सिनू डॉक्टर बन गई उसके डॉक्टर बन जाने से उसका परिवार बहुत खुश था ऐसा लग रहा था मानो उसने सिर्फ अपना नही पूरे परिवार का सपना को पूरा कर दिया।आज पूरे पांच साल बाद सीनू अपने शहर अपने घर आ रही थी, उसके खुशी का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था और न ही उसके परिवार की।पूरे पांच साल बाद अपने परिवार से मिल कर सीनू की आंख भर आई,घर आने पर सबने खूब मस्ती की पूरी रात मानो जश्न मनता रहा।दूसरे दिन इससे पहले को सिनू कुछ बोलती दादी ने सबके सामने सीनू के शादी की बात छेड़ दी और कह दिया की आज ही लड़के वाले तुझे देखने आ रहे है।

सीनू इतना सुनते ही घबरा गई और कहा,दादी मां अभी इतनी जल्दी क्या है,अभी तो मेरी पढ़ाई खत्म बस हुई है मुझे अभी डॉक्टर की प्रैक्टिस तो कर लेने दीजिए।

दादी,नही सिनू अब बहुत हो गया सबने बहुत वक्त दे दिया तुझे अब और नहीं।

बहुत कहने पर भी जब घरवाले उसकी बात नही मानी तो वो रोते हुए अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया।सीनू का ऐसा व्यवहार इससे पहले कभी किसी ने नही देखा था सो सब हैरान रह गए।इतने में दरवाजे की खटखटाने की आवाज आई,दरवाजा खोलने पर सामने वो लोग थे जिससे दादी ने रिश्ते की बात कर रखा था।सबने खूब स्वागत किया मेहमानो का परंतु मेहमानो की नजर बस अपने होने वाले बहु को तलाश रही थी।अंततः मिश्रा जी ने पूछ ही डाला की 'कन्या' कहां है।

दादी ने पहले इधर उधर नजरे घुमाई और फिर हंसते हुए कहां थोड़ा सब्र रखो आ रही है हमारी सिनू।

और फिर झट से अपनी छोटी पोती को धीरे से कहा कि जा ले आ उसे।

थोड़ी देर बाद सिनू सबके सामने थी,उसे देख कर मेहमान तो खुश थे ही साथ साथ ही घरवाले भी खुश थे ये सोच कर को चलो देर से ही सही सीनू ने बात मान ली।परंतु ये क्या इससे पहले की मेहमान कुछ बोलते सीनू झट से खड़ी हुई और हाथ जोड़ते हुए कहा की मुझे माफ कर दीजिए पर ये शादी नही हो सकती क्यूंकि मैं किसी और से प्यार करती हूं और हमने शादी भी कर ली।इतना सुनते ही घर में सन्नाटा सा छा गया मानो कोई मातम मना रहा हो।मेहमान तो चले गए परंतु घर में जो मातम छाया उसका अनुमान लगाना मुश्किल था। सिनू अपनी सफाई में बहुत कुछ कहती रही,पर सबके आंखों से बहती आसूं बस यही सवाल पूछ रहे थे की इतना प्यार करने का ये सिला दिया तुमने।घर में पसरा सन्नाटा अंदर ही अंदर सीनू को खा रहा था सो वो दूसरे दिन अपने घर से जाने का फैसला किया और सबको कह कर निकलने लगी,परंतु इस बार उसे घर के द्वार तक भी कोई छोड़ने नही आया,ना किसी ने आशीर्वाद दिया,ना कोई लाड मिला।इस बात की मन में कसक तो थी पर वो कहीं न कहीं इस बात से खुद को दिलासा देती रही की वक्त सब ठीक कर देगा और शायद ये सही भी था क्युकी हर मर्ज की दवा ये वक्त ही तो होता है। खैर, सीनू मुंबई वापस अपने पति के पास आ गई।उसे अपने डॉक्टरी के लिए एक अस्पताल में नौकरी भी मिल गई। अपनी छोटी सी दुनियां में सीनू खुश रहने की कोशिश करने लगी परंतु कहीं न कहीं वो अपने परिवार की कमी को हमेशा महसूस करती रहती।दिन गुजरते गए शादी को अभी एक साल ही हुए थे परंतु रिश्ते में काफी खट्टास आ चुकी थी अब न वो प्यार था और न वो वक्त और फिर एक दिन जब सीनू सुबह अपने रूम से बाहर आई तो एक सन्नाटा सा लगा उसे उसने अपने पति को आवाज भी लगाया पर अब तक कोई आवाज नहीं आई।इधर-उधर देखने के बाद सामने मेज पर एक कागज का टुकड़ा दिखाई दिया।उस कागज को पढ़ते ही सीनू जोर से चीखी उसे समझ नही आ रहा था की क्या करे क्यूंकि उसका पति उसे छोड़ कर जा चुका था।ये जानते हुए भी की सीनू पेट से है वो उसे इस हालत में छोड़ कर चला गया। सीनू पुरी तरह से टूट चुकी थी इस दुनियां में उसे अपना कहने वाला कोई न था,रोते चीखते सीनू बेहोश हो गई।

 करीबन तीन घंटे बाद जब होश आया तो वो हैरान हो गई उसके सामने उसका पूरा परीवार खड़ा था।सबने प्यार से उसे गले लगाया। सिनू को अब तक अपनी गलती पर पछतावा हो चुका था उसने अपने परिवार के एक एक सदस्य से माफी मांगी।उसे अब तक परिवार के महत्व की भी समझ आ गई की परिवार ही ऐसा डाल होता है जो हर कदम पर बिना स्वार्थ के आपके साथ खड़ा रहता है और परिवार की एकता ही हर मुनष्य को हर संकट से निकलने में सहयोग करता है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy