परिवार
परिवार


एक ऐसा परिवार जो पांच साल से एक दर्द को लिए जी था और वक्त के साथ उस गम के साथ जीना सीख भी लिया था।परंतु आज कुछ ऐसा हो गया जिसकी कल्पना किसी ने न की थी।आज सुबह-सुबह टेलीफोन की घंटी बजी,गुप्ता जी वही हाथ में चाय लिए अखबार पढ़ रहे थे।टेलीफोन के घंटी की आवाज सुनते ही उन्होंने झट से फोन उठा लिया।
"हैलो, कौन बोल रहा है?"
तभी उधर से आवाज आई "हैलो पा... पापा,मैं....मैं हूं शिल्पा( गुप्ता जी की बेटी) "
शिल्पा...नाम सुनते ही ऐसा लगा मानो चारों ओर शांति सा छा गई ,गुप्ता जी की आंखें भर आई,परंतु उन्होंने थरथराते आवाज में कहा "कौन शिल्पा,मैं किसी शिल्पा को नही जानता यहां इस नाम से कोई नही रहता।"
तभी उधर से शिल्पा ने रोते हुए कहा "नही पापा ऐसा मत बोलिए आप जानते है मुझे।मैं हूं आपकी बेटी शिल्पा।मेरे गलती के लिए मुझे माफ़ कर दीजिए पर मेरे से बात कीजिए ऐसे पहचाने से इंकार मत कीजिए पापा।मुझे आपकी जरूरत है पापा।"
गुप्ता जी ने कहा की "मेरी कोई बेटी नही और इतना कह कर उन्होंने फोन रख दिया।"
सवाल तो अब ये था की आखिर इन पांच सालों में शिल्पा ने कभी फोन नही किया ना हाल चाल जाना किसी का फिर आज अचानक क्या बात हुई होगी।घर के बांकि सदस्य के कानों में भी ये बात अब तक आ चुकी थी और सब के जेहन में सवाल भी एक थे। अंततः गुप्ता जी ने फैसला लिया की वो शिल्पा से मिलने जाएंगे।गुप्ता जी को पता था की शिल्पा कहां रहती है,क्युकी माता पिता का दिल कभी भी अपने बच्चों के मोह से हटता नही है सो शिल्पा के इतनी बड़ी गलती के बाद भी किसी को बिना बताए गुप्ता जी उसके घर का पता मालूम कर के रखे थे।रात भर पूरा परिवार जागता रहा,सब अपने अपने तरीके से अनुमान लगा रहे थे और गुप्ता जी एक कोने में बैठ कर अपने बच्ची के रोते
बिखलते आवाज को याद कर रहे थे और एक आशा भरी नजरों से ये सोच रहे थे की काश शिल्पा ने भाग कर शादी नही की होती तो आज उसके दुख का कारण हमे मालूम होता। यूं इस तरह इंतजार नही कर रहे होते।आज भी याद है वो दिन जब गुप्ता जी स्कूल से घर को लौटे तो पता चला की शिल्पा किसी लड़के के साथ बिना बताए घर से भाग गई।इस खबर के सुनते ही गुप्ता जी की जो हालत हुई थी वो उन्हें आज भी याद है।पूरा परिवार शोक में डूब गया था किसी को भी इस बात पर जरा भी भरोसा नही हो रहा था,परंतु बात सच निकली और जिस दर्द से पूरे परिवार को गुजरना पड़ा उसका अनुमान लगाना कठिन था।और आज जब इतने सालों बाद फोन आया तो वो भी इस हालत में।
खैर,सुबह हो गई गुप्ता जी अपने दोनों बेटों के साथ दिल्ली के लिए निकल पड़े।वहां पहुंच कर वो लोग शिल्पा के घर के पता पर पहुंचे।लेकिन ये क्या इतनी भीड़ क्यों है पूछने पर पता चला कि शिल्पा के पति नही रहे। ओह, इतनी बड़ी अनहोनी,गुप्ता जी को अपनी बेटी के इस दर्द ने तोड़ सा दिया मानो परंतु उन्होंने हिम्मत बांधी और अपने दोनो बेटों के साथ अपनी बेटी शिल्पा के पास आ गए अपने पिता को सामने देख शिल्पाा फूट-फूट कर रोने लगी उसका रोना गुप्ता जी को अंदर ही अंदर भावुक किए जा रहा था।उन्होंने सबकुछ भुला कर शिल्पा को अपने सीने से लगा लिया।कुछ दिन बाद गुप्ता जी ने शिल्पा और उसके बेटे को अपने साथ कानपुर ले लाए ।पूरा गुप्ता परिवार शिल्पा के इस दुख में उसका हौसला,उसका हिम्मत बन कर खड़ा रहा।भले ही पांच सालों से इनकी बात नही हुई परंतु आज शिल्पा के बुरे वक्त में उसका परिवार ने साथ नही छोड़ा।नाराजगी अपने जगह है और परिवार का प्यार उसका अपनापन,उसका साथ,परिवार की एकता एक तरफ है।और इस तरह शिल्पा अपने परिवार के बदौलत एक खुशनुमा जिंदगी जी रही है।