Shalini Dikshit

Inspirational

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Shalini Dikshit

Inspirational

टेनिस सखियाँ

टेनिस सखियाँ

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"हेलो मैं प्रिया तुम न्यू एडमिशन हो?"

"हां मैं अर्चिता, मेरा आज पहला दिन है स्कूल में।"

ग्यारहवीं कक्षा में कई नए एडमिशन होते थे क्योंकि उस समय एक ही स्कूल था शहर में जहाँ साइंस भी थी।

"अच्छा अर्चिता तुम बायो में हो कि मैथ्स?"

"मैंने मैथ्स ली है।" अर्चिता बोली।

"अरे वाह फिर तो हम गणित के पीरियड में साथ रहेंगे।"

प्रिया की सभी सहेलियाँ बायो में थी तो वो मैथ्स के पीरियड में अकेली पड़ जाती थी, टीचर पढ़ाती नहीं थी तो बस ऐसे हो खुद पढ़ के या बोर हो के वो पीरियड निकालना पड़ता था।

प्रिया और अर्चिता बहुत जल्दी अच्छे दोस्त बन गए थे दोनों की खूब बातें भी होने लगी थीं एक दिन अचानक प्रिया को उदास देखकर अर्चिता बोली, "क्या हुआ उदास क्यों हो?"

"पहले तुम बताओ तुम्हारा फेवरेट प्लेयर कौन है?" प्रिया ने भी सवाल ही कर दिया।

"मुझे तो स्टैफी ग्राफ पसंद है।" अर्चिता बोली।

"अरे वाह इसका मतलब तुम को भी टेनिस पसंद है।"

"मुझे मोनिका सेलेस और गैब्रिएला सबातीनी पसंद है।" प्रिया ने बताया और आगे वह बोलती चली गई, "मोनिका सेलेस तो हमेशा जीत जाती है लेकिन गैब्रिएला सबातीनी का हमेशा पहले राउंड में मोनिका के साथ मैच हो जाता है और वह हार जाती है मेरा मन करता है कि कभी वह भी आगे तक जाए इसलिए मैं दुखी हो जाती हूं कि उसका हमेशा मोनिका के साथ ही क्यों मैच हो जाता है किसी और के साथ क्यों नहीं आता शुरुआती मैच?"

"दुख तो मुझे भी होना चाहिए हमेशा फाइनल में स्टैफी ग्राफ हार जाती है मोनिका से।"

फिर दोनों लंबे वार्तालाप में लग गई टेनिस से संबंधित प्रिया अपना दुख भी भूल गई।

अब तो पुरानी सहेलियां कई बार शिकायत भी करती दोनों से कि तुम दोनों तो इतना घुल मिल गई हो कि बस हमारी तरफ ध्यान ही नहीं देती। वो दोनों हमेशा बात को काट देती है ऐसा कुछ नहीं है हम सिर्फ गणित के पीरियड में ही अकेले ज्यादा बातें करते हैं बाकी समय तो तुम सब साथ में ही रहते हो।

ऐसे समय निकलता रहा पढ़ाई चलती रही जीवन चलता रहा साथ में बातें भी चलती रही।

कुछ दिनों बाद अर्चिता ने फोन किया प्रिया को-

"हेलो!!"- प्रिया ने फोन उठाया।

"हां मैं चिता बोल रही हूं।"

"अरे कोई काम था, फोन क्यों ? स्कूल में तो मिले ही थे कल फिर से मिलना है फिर फोन क्यों?"

"अरे सुन तो पहले मेरी बात।" अर्चिता घबराई आवाज में बोली।

"तुझे पता चला मोनिका सेलेस के कंधे पर किसी ने चाकू से वार किया है बहुत गहरा जख्म लगा है।"

"हाई राम कब हुआ ये?"

"मैंने अभी न्यूज़ में देखा।" अर्चिता बोली

"यह जरूर किसी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के दीवाने ने किया होगा ताकि मोनिका ना खेल पाए और हमेशा वही जीते।" प्रिया गुस्से में बोली।

"यह भी संभव है।" अर्चिता बोली। 

"लेकिन हम ऐसे ही किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते और किसी पर इल्जाम लगाना भी ठीक नहीं है जो भगवान की मर्जी तुम ज्यादा दुखी मत होना।" बोल कर अर्चिता ने फोन रख दिया।

फोन रखने के बाद प्रिया तो उदास सी बैठ गई उसकी आंखें भर आई।

"वाओ ,मम्मा! आज विराट ने बहुत अच्छा खेला आई एम सो हैप्पी!" यश कूदता हुआ आया और प्रिया से बोला।

 यश की आवाज से प्रिया की तंद्रा टूट गई वो अतीत की गलियों से वर्तमान में आ गई, यही सोचने लगी कितना भी समय बीत जाए पीढ़ियां बीत जाए लेकिन यह खिलाड़ियों को पसंद करने का उनके पीछे पागल होने का रिवाज हमेशा रहा है और रहेगा जैसे वह किसी के पीछे पागल थी आज उसका बेटा विराट के पीछे पागल है।


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