RAJNI SHARMA

Action Classics Inspirational

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RAJNI SHARMA

Action Classics Inspirational

तरक्की का जूनून

तरक्की का जूनून

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राम अक्तियार दरभंगा जिले के तोरा गाँव का रहने वाला था। अपने माता-पिता का इकलौता बेटा। हम गाँव के अच्छे भूमिहार कहलाते थे। पढ़ाई में अच्छा होने के कारण मैंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर ली थी। मैं लगातार शहर में नौकरी के लिए अर्जी भरता रहता था। आज! वो दिन आ ही गया, जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था। "माँ देखो मेरी अर्जी मंजूर हो गई है। माँ ये दिल्ली शहर के रामनगर की बहुत बड़ी कम्पनी है बड़ी मुश्किल से नम्बर आता है यहाँ। मन लगाकर काम करूँगा तो जल्दी ही तरक्की मिलती जाएगी।" सपनों को पूरा करने का बड़ा अच्छा मौका मिला है।

माँ ने बेमन से कहा - "अच्छा बेटा जैसा तू ठीक समझे।"

राम अक्तियार शहर की ओर रवाना हो गया।

 शहर पहुँचते ही राम अक्तियार को कम्पनी में भेजा गया। शहर से दूर बड़ी कम्पनी थी जहाँ पर प्लास्टिक को गलाने की बड़ी-बड़ी मशीनें लगी हुई थी। 

राम अक्तियार देखकर - "इतनी बड़ी कम्पनी, बड़ी- बड़ी मशीनें, कम्पनी में लगी बड़ी- सी चिमनी से निकलता हुआ धुआँ।"

मैनेजर ने कहा - राम अक्तियार आप ये फार्म भर दो, आपको रहने के लिए कम्पनी का क्वाॅटर और खाना भी कम्पनी की कैंटीन से मिलेगा। कम्पनी का आई-कार्ड आपको पहनकर रखना है। आप सात मशीनों के इंचार्ज हैं। यहाँ प्लास्टिक के अलग-अलग रंगों के दानों की धुलाई का उपरांत रासायनिक कैमीकल सही प्रकार से बाहर की नालियों में जाना चाहिए। सातों मशीनों की जिम्मेदारी पूरी तरह से आपकी है। राम अक्तियार जी यदि आप कम्पनी द्वारा दिए गए टार्गेट को जितनी मेहनत और लगन से पूर्ण करेंगे तनख्वाह के साथ- साथ उतना ही अच्छा इन्सैनटीव भी प्राप्त कर सकेंगे।

अब क्या था राम अक्तियार पूरी मेहनत व लगन से काम करने लगा। वह अपनी कंपनी में मशीनों की देखरेख के साथ, चिमनी के सही प्रकार से उपयोग, निकलने वाले धुएँ का सही रिसाव तथा प्लास्टिक के दाने के धुलने के उपरांत निकलने वाले कैमिकल का सही निपटान की भलि भाँति देख-रेख करता ताकि "भूमि व वायु प्रदूषित न हो"। वह कम्पनी के प्रति अपनी निष्ठा वह लगन से बहुत खुशी महसूस करता ‌ अक्सर रात को सपना देखता जिसमें - " एक बड़ी-सी ऊँची सीढ़ी जो मानो नभ में मखमली सफेद बादलों से बातें कर रही हो, और उसे उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती हो।"

ये पंक्तियां सदा उसके ख़्वाबों का हिस्सा बनतीं -

उठ! चल! तुझे मेहनतकश की सीढ़ी पर चढ़ना होगा,

अपने अरमानों को अथाह लगन से पूर्ण करना होगा।।

पर्यावरण संरक्षण से तरक्की की राह को चुनना होगा।।


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