सिमता की हाँ ना हाँ
सिमता की हाँ ना हाँ
सिमता की हाँ ना...हाँ
सिमता के घर पर शादी की तैयारियाँ जोर शोर से चल रही है।
रतन लाल अपने बंगले के सभी सदस्यों को बुलाकर मीटिंग बुलाते हैं।
सोहन लाल तुम्हें सिमता की शादी का इंतजाम अच्छी तरह देखना है।
सोहन लाल- भाई साहब आप चिंता ना करो। हमारे घर की यह पहली शादी है। सिमता का चाचा अपनी भतीजी की शादी में कोई कमी नहीं छोड़ेगा।
रतनलाल - (मन में सोचते हुए) मेहमान की लिस्ट बहुत लंबी है। शहर के जानी मानी हस्ती शादी में आएंगी। इंतजाम बहुत बढ़िया करना होगा।
सोहन लाल - आप चिंता ही ना करें भाईसाहब सब हो जाएगा। भोपाल में बीना बहन जी फोन करके बता दो सब कार्यक्रम के बारे में जल्दी आने की टिकट करा लें।
रतनलाल - हाँ भाई मैंने रात ही दीदी से बात की थी। वो एक हफ्ता पहले आ जाएंगी।
ठीक है भाईसाहब मैं बुकिंग की लिस्ट तैयार कर रहा हूँ।
उधर सिमता और गौरव अचानक से छत पर मिलते हैं।
गौरव - देखो अब हमारी शादी हो रही है। अभी भी समय है यार यदि तुम मना करना चाहो तो।
सिमता - (सोचते हुए) अरे! यार कब तक बैक गेयर मारते रहोगे। हमेशा अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए। तुमने महसूस किया ना सब कितने खुश हैं हमारी शादी से।
गौरव - और तुम !
सिमता - मैं भी। अब परिवार की खुशी में ही मेरी खुशी है।
गौरव - जबरदस्ती की शादी से हम खुश रह पाएंगे क्या?
सिमता - अरे! यार। तुम भी अकेले हम भी अकेले।
गौरव - अकेलेपन के कारण मुझसे शादी कर रही हो।
सिमता - हाँ यार मुकेश तो मुझे मिलेगा नहीं तुम ही सही।
गौरव - ओके रात बहुत हो गई है सोने जा रहा हूँ । गुड़ नाइट।
सिमता - गुड़ नाइट।
दोनों अपने - अपने कमरे में सोने चले जाते हैं।
उधर गौरव अपने लैपटाप पर फैसबुक पर आनलाईन है।
तभी उसकी नज़र सिमता के प्रोफाइल पर पड़ती है। उसकी फैंड लिस्ट में तो मुकेश अभी भी है। सिमता ने डिलीट नहीं किया है। इसका मतलब वो अभी भी मुकेश से प्यार करती है। तभी तो घर छोड़कर भागी थी।
मुझे कुछ करना पड़ेगा ऐसे बेमन की शादी कहीं आगे बोझ न बन जाए।
गौरव कुछ प्लानिंग करता है।
वो मेल आई डी पता करके मुकेश को शादी का इन्वीटेशन भेजता है।
लेकिन यह क्या इतने दिनों बाद भी मुकेश ने मेल का कोई जवाब नहीं दिया।
गौरव सब बातें सिमता को बताता है।
सिमता ( गुस्से में) तुमने क्यों मेल की उसको ??
अरे यार अब मैं तुम्हारे पापा को जानने लगा हूँ। वो तुम्हें बहुत प्यार करते हैं। तुम्हें दिखाते नहीं।
तुम उन्हें सच-सच बता दो।
सिमता - क्या बताऊँ? जब मुकेश अभी शादी के लिए तैयार ही नहीं है।
गौरव - फिर तुम भूल जाओ उसे। ऐसे लोगों को जिंदगी से निकाल देना चाहिए जो तुम्हारे दुख का कारण है।
सिमता ( गौरव की ओर देखते हुए) - सही कहते हो तुम। मैं भी ना बिल्कुल पागल हूँ।
गौरव - चलो तो इसी समय उसको अपनी फ्रेंड लिस्ट से रिमूव करो उसे....
सिमता - मुकेश को रिमूव कर देती है। अरे ! यार बड़ा रिलेक्स लग रहा है।
गौरव - गुड़ ! चलो हम फ्रेंड तो बने। यह कहते हुए वह सिमता के रूम से चला जाता है। और सोचता है चलो कुछ तो लाइफ में क्लियर हुआ।
अब वो दिन है जब सगाई की रस्म की तैयारी है । बहुत से खास मेहमान फंक्शन में हैं।
सोहनलाल चाचा गौरव को सभी से मिलवाते हैं।
गौरव को सभी रिश्तेदारों से मिलाया जा रहा है।
ये सचिन है हमारा दूर का रिश्तेदार...
एक और परिचय भी है इनका ।
गौरव - क्या चाचाजी बताइए ना।
चाचाजी - ये सचिन पहले मंगेतर हैं। लेकिन तुम्हें तो सब पता है, शादी हो न सकी।
गौरव - ओह !
दोनों गौरव और सचिन हाथ मिलाते हैं।
Hello ! Nice to meet you .
नितेश प्रताप - Congratulations friend for your new life
गौरव - thanks friend.
तभी सिमता फंक्शन में enter होती है।
सचिन - अरे! दोस्त आपकी सिमता आ गई।
गौरव - सिमता को देखता रह जाता है।
सिमता औरेंज लहंगे में बहुत सुंदर लग रही है। दोनों ही प्यार भरी नजरों से सिमता को देख रहे हैं।
तभी अचानक से सिमता को देखते-देखते गौरव की नज़र सचिन पर पड़ती है। गौरव मन ही मन सोचता लगता ये भी सिमता से प्यार करता है। यार ये लड़की है ही इतनी सुन्दर कि सबको इससे प्यार हो जाता है।
तभी सिमता को गौरव के पास लाया जाता है।
गौरव - और सिमता बहुत प्यारी लग रही हो कहीं नज़र न लग जाए ।
सिमता- शरमाते हुए , चुप करो हमेशा ही मज़ाक करते हो।
गौरव - अरे झूठ थोड़े ही ना सचिन से पूछ लो। मैं और सचिन तो तुम्हें देखते ही दंग रह गए।
सचिन - (झेंपते हुए) अरे यार क्या कह रहे हो। अब सिमता की शादी तुमसे होने जा रही है। मैं तो बस पुराना किस्सा हूँ।
गौरव - यार कई बार पुराने किस्सों में भी रंग भर जाता है।
अच्छा सच बताओ तुम अभी भी सिमता से शादी करना चाहते हो।
सचिन - क्या गौरव जी आप भी ना। अब कैसे होगा उसकी शादी तो तुमसे होने वाली है।
सिमता ( गुस्से में घूरते हुए) - गौरव क्या कहे जा रहे हो । चुप.....
सिमता दूसरे रिश्तेदारों से मिलने चली जाती है।
सचिन अभी भी दुख में डूबा हुआ उदास चेहरे से दूसरी तरफ चला जाता है।
तभी सचिन और सिमता अचानक से टकरा जाते हैं।
सिमता - I am sorry . कहकर झट से गौरव के पास आ जाती है।
गौरव - क्या हुआ तुम कुछ परेशान दिख रही हो।
सिमता - नहीं कुछ नहीं।
गौरव - मैं इतने दिनों से देख रहा हूँ कि तुम्हारी चाची तुमसे बात नहीं करती। नाराज़ हैं।
सिमता - हाँ वो शादी के कारण ही ।
गौरव - ओह अच्छा ! कुछ करना चाहिए। सिमता तुम अभी भी तो सचिन से शादी कर सकती हो।
सिमता - पागल हो तुम! सारी तैयारियाँ हो चुकी हैं।
गौरव - लेकिन अभी भी तो झूठ बोलकर शादी कर रहें हैं हम।
सिमता - लेकिन और कोई रास्ता भी नहीं हमारे पास।
गौरव - है क्यों नहीं । तुम्हारे घरवाले अभी भी तुम्हारी शादी सचिन से ही करना चाहते हैं। सचिन से मैंने बात की है वो तुम्हें बहुत पसन्द करता है। अभी भी तुमसे शादी करने को तैयार है। मुकेश अब तुम्हारी लाइफ में है नहीं तो फिर दिक्कत कहाँ है। तुम सचिन से शादी क्यों नहीं कर लेती।
सिमता - लेकिन मुझे सचिन पसंद नहीं है। बिना प्यार और पसंद के शादी।
सिमता - अरे वो तुम मुझे भी नहीं करती और न ही मैं.....
सिमता - ये अब कह रहे हो तुम। पहले कहते। ऐसे कैसे ???
गौरव - अरे मैं तो सोच रहा था कि तुम हमारी सगाई से पहले कुछ न कुछ कर ही लोगी।
सिमता (चिढ़ते हुए) - तुम ऐसा क्यों कर रहे हो। तुम्हारे कहने पर मुकेश को भी अपनी लाइफ से निकाल दिया। सचिन मुझे पसंद नहीं तो अब मैं क्या करूँ।
गौरव - कौन सा तुम मुझे पसंद करती हो वो तो तुम अपनी पापा की इज्जत के लिए कर रही हो।
सिमता- यह सब सुनकर हैरान भी है और परेशान भी।
गौरव - मेरे हिसाब नितेश प्रताप तुम्हारे लिए right choice है।
सिमता - नहीं नहीं... मैं अब तुमसे प्यार करती हूँ और तुमसे ही शादी करूँगी बस फाइन है।
दोनों की शादी धूमधाम से हो जाती है।