त्रिकोण का चौथा कोण
त्रिकोण का चौथा कोण
आज घर से बहन का फ़ोन आया था और वह बता रही थी कि पड़ोस वाले प्रतीक की शादी तय हो गयी। प्रतीक हमारे पड़ोसी अंकल का बेटा था।
अंकल के जाने के बाद उनके ऑफिस में ही आँटी को जॉब लग गयी। अंकल के होते हुए जो आँटी कभी घर के बाहर नही गयी थी अब वह ऑफिस जाने लगी।अंकल के होते हुए आँटी को सब देवर बहुत रेस्पेक्ट करते थे। लेकिन अंकल के जाने के बाद चीजें बहुत बदल सी गयी थी। जो देवर पहले आँटी को बड़ी माँ जैसी पूजते थे अब वही उनकी एक एक हरकत पर निगाह रखने लगे थे।
सबसे छोटे देवर ने एक दिन आँटी को किसी से हँसते हुए बात करते देख लिया।
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बस! शाम क्या हुई आँटी के यहाँ कोहराम मच गया। छोटे देवर ने सबके सामने जैसे आँटी को तार तार कर रख दिया।और आँटी की इमेज हम सब बच्चों के मन मे बदल गयीं।
आज इतने सालों के बाद वे सारी बाते याद आ गयी। मुझे लगा कि हमारा समाज औरत को देवी मानकर उससे इन्साफ नही करता है। औरत भी हाड़मांस से बनी होती है जिसकी अपनी भी कुछ जरूरतें और आकांक्षाएँ हो सकती है।
आज पता नही क्यों मुझे बारबार लग रहा है कि औरत के साथ हमारा समाज त्रिकोण का चौथा कोण ढूँढने की गैर जरूरी और नाकाम कोशिश करता रहता है.......