तन से बढ़कर मन
तन से बढ़कर मन
बचपन के दोस्त थे राम्या और कविश। जहां राम्या शांत मृदुभाषी सौम्य लड़की थी वहीं कविश एक दम चंचल , शरारती , उधमी लड़का। राम्या क्लास की टॉपर और कविश नीचे से अव्वल पर खेल खुद में सच में टॉपर।
बास्केटबाल टीम हो, कब्बड्डी हो सब में कविश लगा रहता और स्कूल की थिएटर टीम तो उस हीरो के बिना अधूरी थी।
कविश और राम्या बारहवीं में आ गए ,अब अलग होने की बारी थी। कविश कब राम्या के प्यार में गिरफ्त हो चुका था उसको पता ही नहीं चला। राम्या प्यार तो करती थी पर शांत थी वो।
दोनों अलग अलग कॉलेज में चले गए पर दोस्ती बरकरार रही। कविश बास्केटबॉल खेलते खेलते कब नेशनल टीम का हिस्सा बन गया। रंग रूप में तो उसका कोई जवाब नही था , खेल में भी अव्वल तो विज्ञापन की दुनिया ने भी उसको हाथों हाथ लिया।
हर दिन अगर वो एक बार राम्या से बात ना कर ले तो उसको बेचैनी हो जाती थी। आज वो राम्या को स्पेशल डिनर पे लेके जाने वाला है। उसने सब तैयारियां कर रखी हैं।
शाम के सात बजे हैं , शहर के सब से खूबसूरत होटल में स्विमिंग पूल के पास एक सेटअप लगा है जहां राम्या के पसंद के पुराने हिंदी गाने चल रहे हैं , राम्या के पसंद के फूलों और गुब्बारों से सुंदर सजावट की हुई है और कविश की जेब में एक अंगूठी है जो कभी बचपन में राम्या ने कविश को बताया था की उसको बेहद पसंद है।
राम्या वहां पहुंचती है और कविश उसको आंखें बंद करने को बोलता है और जैसे ही राम्या आंखें बंद करती है कविश घुटनों के बल हो कर अंगूठी आगे बढ़ाता है और राम्या को बोलता है , राम्या आंखें खोलो , राम्या उसको देख कर मुस्कुराती है और हाथ आगे बढ़ा देती है अंगूठी पहनने के लिए।
दोनों बहुत खुश हैं और घर में भी बता देते हैं अपने रिश्ते को ले कर। परिवार वाले भी खुश हैं और जल्द ही दोनो की शादी भी हो जाती है।
राम्या अपनी नौकरी करती है , कविश के काम में भी हाथ बंटवाती है। जिंदगी अपनी रफ्तार से दौड़ रही है एक दिन एक अनहोनी घट जाती है।
राम्या घर से गायब हो जाती है , उसका फोन बंद है कविश बेहद परेशान हो कर इधर उधर सब जगह ढूंढता है सुबह की निकली राम्या अब तक घर नहीं पहुंची। आधी रात हो गई कविश ने उसके सब दोस्तों को साथ काम करने वाले कुलीग को सब जगह फोन कर लिया पर राम्या का कुछ अता पता नहीं आखिर कविश ने पुलिस का सहारा लिया , राम्या का फोन ट्रेस किया गया और आखरी लोकेशन उसके ऑफिस के पास ही दिखाई दी। कविश पुलिस के साथ वहां पहुंचता है। पागलों की तरह चिल्ला रहा है कविश , राम्या राम्या राम्या
पर कोई जवाब नहीं मिल रहा।
हंसती खेलती जिंदगी में भूचाल सा आ जाता है। एक एक मिनट कविश को भारी लग रहे हैं। तभी पुलिस ऑफिसर आ कर बताता है की शायद राम्या मिल गई। कविश कहता है ऑफिसर मुझे ले चलो मेरी राम्या के पास।
कविश राम्या के ऑफिस के पास ही एक नई बनती इमारत में पुलिस ऑफिसर के साथ जाता है और देखता है की राम्या बेहोश बेसुध पड़ी है। उसके कपड़े मैले कुचैले हैं , दुपट्टा नहीं है कहीं।
कविश पुलिस की सहायता से राम्या को हॉस्पिटल में दाखिल कराता है। बाहर मंदिर में प्रार्थना करता है की भगवान मेरी राम्या को ठीक कर दे 🙏।
राम्या को 24 घंटे में होश आता है और वो कविश कविश पुकारती है। कविश भागा भागा जाता है उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसका माथा चूमता है और भगवान को शुक्रिया कहता है।
राम्या के गालों पर आंसुओं की बूंदें लुढ़क जाती है वो कविश को कुछ बताना चाहती है पर शब्द नही मिलते उसको। बस जोर से उसके गले लग जाती है जैसे छुप जाना चाहती हो सारी दुनिया से। कविश उसके सर को चूमता है और कहता है की मैं हूं , मैं हूं तुम्हारे पास तुम्हारे साथ। राम्या बिलख पड़ती है।
कविश कहता है की ठीक हो जाओ अच्छे से घर चलो मैं नहीं जी सकता तुम्हारे बगैर।
राम्या घर तो आ जाती पर चुप्पी पकड़ लेती है , कविश पूछने की कोशिश करता है पर वो कुछ कहती नहीं बस गुमसुम दीवारों को ताकती रह जाती है।
कविश बहुत प्यार करता है अपनी राम्या से और उसकी परेशानी देख खुद बहुत परेशान है। कविश एक मनोचिकित्सक से संपर्क करता है और सारी बात रखता है।
मनोचिकित्सक राम्या के सेशन लेने शुरू करता है और कुछ पांच छ सेशन के बाद राम्या के व्यवहार में परिवर्तन आना शुरू होता है।
राम्या कविश को कहती है की मुझे तुमको बताना है की क्या हुआ था उस दिन। राम्या तड़प कर कहती है , तुम मुझे छोड़ तो नही दोगे ना ? कविश कहता है "पागल लड़की तुम बिन मैं कुछ नहीं हूं "
राम्या बताती है की वो जैसे ही ऑफिस से निकली 2 -3 18/20 साल के लड़कों ने मेरा पीछा करना शुरू किया मैंने अपने कदम तेज किए तो उन्होंने भी मुझे घेर लिया। मैंने निडर हो कर पूछा क्या चाहिए तुमको ? उन्होंने मेरा बैग छीन लिया और फोन भी और भागने लगे मुझे गुस्सा आया और मैं उनके पीछे भागी , मैं ये नही सोच पाई की ये कहां भाग रहे हैं ?
ये नई बिल्डिंग में घुस गए और जैसे भी मैं घुसी मेरे सर पे इन्होंने कुछ मारा और मैं बेहोश हो गई फिर क्या हुआ कविश मुझे कुछ नही पता और ये कह कर राम्या फफक कर रो दी और कविश की छाती से जा चिपकी।
कविश मुस्कुराया और बोला कुछ नहीं हुआ तुम्हारे साथ , हॉस्पिटल में तुम्हारा सब चेक अप हुआ था , उन लड़कों ने तुम्हारी चेन , इयररिंग्स कड़े अंगूठी उतारी और भाग गए जल्दी जल्दी में ये सब उतारने के चक्कर में तुमको स्क्रैचेस लग गए।
राम्या की आंखें चमक उठी और वो कविश के गले से लग गई। राम्या को पहले जैसी होता देख कविश को भी शांति मिल रही थी अब वो हॉस्पिटल की सब रिपोर्ट्स को जला चुकने के अपने डिसीजन को सही ठहरा रहा था , वो कभी राम्या को भनक भी ना लगने देगा की उसके शरीर के साथ उन हवसी लड़कों ने क्या किया था।
राम्या के शरीर से बढ़कर कविश को उसके मन से उसकी रूह से प्रेम था।
काश इतना समझदार साथी हर किसी को मिले। जो गुनाह किसी भी राम्या ने नही किया होता फिर भी उसकी सजा अपराधी की बजाए राम्या जैसी लड़कियों को मिल जाती है। पर कविश जैसा साथी हो तो राहें आसान हो जाती हैं।

