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Shalini Dikshit

Romance

4  

Shalini Dikshit

Romance

तेरा खत

तेरा खत

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"मन्नू ओ मन्नू ! क्या आज दिन भर मोबाइल में ही लगी रहोगी चलो अब तैयार हो जाओ।" सुधा थोड़ा गुस्से में बोली।

"हाँ मौसी ! अभी तैयार होती हूँ।" बोलकर मन्नू सुधा के पास गई और उसके गले में बाहें डालकर लाड दिखाने लगी।

मेरी अच्छी मौसी तुम नहीं जानती मैं इस बार बीस साल की हो गई हूँ मतलब की टीनएज पूरी कर ली है और हॉस्टल से दूर भी हूँ तो सब लोग इंस्टाग्राम पर स्टोरी डाल रहे हैं इतने मैसेज कर रहे हैं तो आप ही बताओ अब क्या सबको जवाब नहीं दूँ मैं, इसलिए मोबाइल में लगी हूँ तनु अपनी बात को समझाते हुए बोली।

"अच्छा एक बात बताइए मौसी आप लोग कैसे मनाते थे बर्थडे वगैरह सेलिब्रेट कैसे करते थे?"

बेटा हम तो बहुत ही खास जनरेशन के लोग हैं हम तो तुम सब की तरह इंटरनेट का भी मजा ले रहे हैं और अपनी मम्मी की तरह कार्ड्स और चिट्ठी का भी मजा लिया है। हमारे समय में तो एक होड़ सी लगी रहती थी कि किसका कार्ड एग्जैक्ट उसी दिन पहुँचेगा न एक दिन पहले न ही एक दिन बाद में।

बातें करते हुए दोनों तैयार होती रही, मन्नू सुधा को बाहर ले जा रही थी खाना खिलाने। मन्नू सुधा की बड़ी बहन की इकलौती बेटी है जीजा जी को ट्रेनिंग के लिए कंपनी की तरफ से अमेरिका जाना था साथ में दीदी भी जा सकती थी लेकिन वह मन्नू को हॉस्टल में अकेला छोड़कर जाना नहीं चाहती थी; सुधा ने जबरदस्ती भेज दिया दीदी को ये कह कर कि सिर्फ छः महीने की तो बात है तनु छुट्टियों में मेरे पास आकर रह लेगी मेरा भी अकेलापन दूर हो जाएगा।

"यह क्या मौसी ये क्या पहना आपने बूढो जैसा?"- सुधा को देख मन्नू बोली।

"इसमें क्या बुराई है बोलो तो जरा तुम?" सुधा बोली।

"मौसी कुछ अच्छा सा पहनो एकदम तड़कता भड़कता पार्टी जैसा, मुझसे तुम तेरह साल ही बड़ी हो यह सौ साल बड़ी जैसा बिहेव मत किया करो।"

"अच्छा मैडम जी चलो आज आपकी बात मान लेती हूँ।"

"मौसी आप इतनी ब्यूटीफुल है आपने शादी क्यों नहीं करी?" मन्नू ने सवाल किया।

"क्योंकि अगर शादी करती तो तुम्हारे जैसी एक शैतान लड़की मेरी भी हो जाती, फिर कैसे संभालती दो दो शैतान लड़कियों को इसीलिए नहीं करी।" सुधा बोली फिर दोनों हँस पड़े।

खाना खा पी के वापस आने के बाद मन्नू तो सो गई लेकिन सुधा की आंखों से आज नींद कोसों दूर है शादी वाले सवाल के कारण उसका दिल अतीत की गलियों में घूमने लगा जहाँ वह फिर शेखर से रूबरू हो गई दोनों कितने अच्छे दोस्त थे लेकिन जैसे ही सुधा को आभास हुआ कि शेखर उसकी तरफ खिंचता जा रहा है उसने अपने कदम रोक लिए वह समझती थी कि शेखर का दूसरी जाति का होना उसकी माँ को पसंद नहीं आएगा और माँ का दिल वह दुखाना नहीं चाहती थी क्योकि पिता की मृत्यु के बाद माँ ने बहुत ही कठिनाइयों से दोनों बेटियों का पालन पोषण किया था। शेखर की छाप उसके दिल पर ऐसी पड़ी थी कि वह शादी के लिए अपने आप को कभी राजी नहीं कर पाई।

आज शेखर कहाँ होगा, कैसा होगा, अब तक तो उसकी शादी हो ही गई होगी? यही सब सोचते-सोचते उसकी कब आँख लग गई पता ही नहीं चला सीधे सुबह ही खुली ।

वह जल्दी-जल्दी ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी तब तक मन्नू भी उठ के आ गई

"बेटा तुम दिन में पढ़ाई करना और मैंने खाना बनाकर रख दिया है खा लेना।" सुधा ने मन्नू को समझाया।

"आप आराम से जाइये मौसी मैं बाकी का सारा काम कर लूँगी।" मन्नू प्यार से बोली

आज ऑफिस में भी सुधा का मन नहीं लग रहा था ठीक से, कल रात की सोच उस पर हावी थी दिन भर व खुद को वर्तमान में लाने की कोशिश करती रही साथ ही उसको माँ की भी याद आ गई की अंतिम समय में उसकी माँ को एक ही मलाल रह गया था कि सुधा की शादी नहीं हुई है।

इतने में मन्नू का फोन आ गया, "बोलो बेटा।" उसने फोन उठाते ही कहा।

"मौसी मैंने फेसबुक पर कल की फोटोस पोस्ट करी हैं और आपको टैग किया है, आप देखना कितना अच्छा कैप्शन लिखा है-

 'टू सिंगल लेडीस मी एंड माय मौसी'

 मन्नू बहुत उत्साह से बोली

"ओह !मुझे क्यों टैग किया मैं फेसबुक पर यह सब बात नहीं करती हूँ।" सुधा ने तनु को डांटा।

"ठीक है मौसी सिर्फ एक बार आगे से नहीं करूंगी, ओके!"

"गुड गर्ल ठीक है मैं देख लूँगी फोटोज।"

तनु से बात करके प्रिया का मूड थोड़ा अच्छा हो गया था।

अब जीवन फिर से अतीत से निकलकर वर्तमान की पटरी पर आ गया है।

दो-तीन दिनों में तनु की छुट्टियां भी खत्म होने वाली थी उसको हॉस्टल जाना है सुधा उसके लिए खाने पीने का सामान और चीजों की पैकिंग करने में लगी रहती है

दरवाजे की घंटी बजी तो सुधा ने आवाज दी, "मन्नू जाकर देखो कौन है?"

"मौसी कुरियर से कुछ सामान आया है आपने कुछ मंगवाया था क्या?"

मैंने नहीं मंगवाया अभी देखती हूँ, हो सकता आफिस से कुछ आया हो तुम रख दो।

मन्नू पैकेट मेज पर रख कर अंदर चली गई सुधा अपना काम करती रही कुछ देर बाद सुधा पार्सल का पैकेट खोलते हुए बेडरूम में चली गई की आराम से देखेगी क्या है क्योंकि पैकेट में नाम नहीं दिख रहा था किसने भेजा है।

पैकेट खोलते ही वह एकदम चौक गई अंदर बहुत ही सुंदर सी पायल हैं और एक पत्र भी किसने भेजा है बड़ी उत्सुकता के साथ उसने पत्र खोला

डियर सुधा,

तुमने पायलिया वाले गाने पर कॉलेज के प्रोग्राम में डांस किया था तभी तुम्हारे लिए पायल भेज रहा हूँ वह डांस आज भी मुझे अच्छी तरह याद है तुमको नहीं पता लेकिन मैं कुछ महीनों से फेसबुक पर तुमको ढूंढ लिया और फॉलो कर रहा था फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजी सोचा तुम्हारा परिवार होगा मेरा डिस्टर्ब करना ठीक नहीं लेकर चार दिन पहले फोटो देखी तुम्हारी, शायद मन्नू है वह तुम्हारे साथ तुम्हारी भांजी जिस की बातें तुम कॉलेज में भी बहुत करती थी तुम अपने उसी पुराने घर में रहती हो यह भी जान गया तभी यह पार्सल भेज पा रहा हूँ क्योंकि उस घर का पता मुझे मालूम है।

मेरे घरवाले मुझ पर दबाव डाल रहे हैं शादी करने का मैं अब तक टालता रहा क्योंकि तुम सा कोई मिला ही नहीं अब मम्मी नाराज होती हैं कि शादी की उम्र निकली जा रही है तुम कब हाँ बोलोगे? तो तुम मेरी शादी की उम्र निकलने से पहले मुझसे शादी करोगी?

तुम्हारा शेखर 

मोबाईल नंबर 

सुधा ने अपनी आँखों से निकल आए आंसुओ को अपनी उँगलियों के पोरो से पोंछ दिया और खत में लिखे मोबइल नंबर पर शेखर को फोन करने लगी। 


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