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ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Inspirational Children

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ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Inspirational Children

सुपर पावर-(२२ नवंबर)

सुपर पावर-(२२ नवंबर)

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रीना की नींद खुली तो बेटे रोहन के कमरे से कुछ आवाज़ आ रही थी। जाकर देखा तो वह कुछ बड़बड़ा रहा था। ध्यान से सुना तो वह कह रहा था, "सुपर पावर, प्लीज मुझे पास कर दो। मैं फेल हो जाऊँगा। मुझे फेल नहीं होना। मेरे दोस्त अगले क्लास में चले जाएं। मैं नवीं में ही रह जाऊँगा। नहीं…मुझे पास होना है। सुपर पावर! मेरी हेल्प करो। कुछ तो करो कि मैं पास हो जाऊँ। प्लीज सुपर पावर…।"

ओह, रोहन तो बड़े तनाव से गुजर रहा, यह सोच रीना दुःखी हो गयी। अपनी जॉब के चक्कर में उसने रोहन पर ध्यान देना ही छोड़ दिया था। उसे अब रोहन पर ध्यान देना होगा।

सुबह सब जग चुके थे। रीना रोहन के कमरे में गयी। वह भी जगा हुआ था पर रजाई में मुँह छुपाए पड़ा था। रीना ने प्यार से उसका सिर सहलाया। रोहन माँ की गोद में सिर रख लिया।

"बेटे, उठ जाओ। फाइनल परीक्षा के कुछ ही दिन बचे हैं। तैयारी करनी है न। आज से मैं तुम्हारी हेल्प करूँगी।"

"मम्मा, मुझे कुछ याद ही नहीं रहता। इस बार मैं फेल हो जाऊँगा।" कहते रोहन सुबक गया।

"ऐसा कुछ नहीं होगा। हम दोनो मिलकर पढ़ाई करेंगे।"

"मम्मा, आप तो रोज़ पूजा करते हो न। अपने सुपर पावर भगवान को कह दो न मुझे पास करवा दें।"

"ठीक है, कह दूँगी। अब उठ जाओ। ब्रेकफास्ट के बाद से हम काम शुरू करेंगे।"

"मम्मा , आपका ऑफिस वर्क…?"

"वह तो मैंने अपने बेटे के लिए एक सप्ताह की छुट्टी ले ली है", रोहन का माथा चूमते हुए रीना ने कहा।

"Yaaaaa…." कहते हुए रोहन रजाई फेंक उठ बैठा।

नाश्ते के बाद सबसे पहले रीना ने दिनभर की रूटीन बनाई। 3 बजे विद्यालय से आने के बाद कितने घण्टे किस विषय के होंगे। उसमें टेस्टबुक से पढ़ना है या कुछ प्रश्रपत्र बनाने होंगे। यह सब लिखा। शाम को एक घण्टे का समय खेलने के लिए भी रखा। सायं 4 बजे से रात 10 बजे तक के छह घण्टे की रूटीन रोहन को बहुत पसंद आई। रीना हर समय रोहन के साथ- साथ रही। सबसे पहले उसने लिखित अभ्यास करवाना शुरू किया। रोहन जो भी पढ़ता उस चैप्टर से वह छोटे छोटे प्रश्न बनाकर देती। रोहन को उत्तर समझ में नहीं आता तो कहती कि उत्तर वह पुस्तक में स्वयं ढूँढे। इस तरह बार- बार पाठ पढ़ने से वह समझ गया कि उत्तर कहाँ पर है। सभी विषयों के लिए वह पारंगत होने लगा। उसकी लिखावट में भी सुधार होने लगा। लिखित अभ्यास से उसे याद भी रहने लगा।

एक महीने बाद परीक्षा का दिन आ गया। रोहन ने भगवान के सामने हाथ जोड़ा," सुपर पावर, मेरी हेल्प करना।"

रीना मुस्कुरा दी," सुपर पावर पक्का हेल्प करेंगे। बस तुम प्रश्न ध्यान से पढ़ना। क्या पूछा जा रहा यह सही सही समझना जरूरी है। मुझे विश्वास है कि तुम समझकर सही लिखोगे।"

"हाँ मम्मा, मैं दो तीन बार प्रश्न पढूँगा, समझूँगा तब लिखूँगा।"

रीना ने रोहन की पीठ थपथपाई। रोहन थोड़ा नर्वस था पर आत्मविश्वास भी झलक रहा था। रोहन हर दिन ईश्वर को कह कर जाता,"सुपर पावर, हेल्प करना।" उसके बाद वह आत्मविश्वास से भर जाता।

आज परीक्षा परिणाम आया और रोहन टॉप पाँच में आया था। खुशी से उसका चेहरा दमक रहा था। वह फिर से भगवान के सामने हाथ जोड़कर बोला," थैंक यू सुपर पावर"

रीना ने मुस्कुराते हुए कहा," रोहन बेटे, सुपर पावर उसी की मदद करते हैं जो परिश्रम करता है। तुमने समय से पढ़ाई की। लिखने का अभ्यास किया। है न।"

"हाँ मम्मा, आपने भी ऑफिस से छुट्टी ली। मुझे हेल्प की। आप सुपर मम्मा हो"

"हाँ हाँ सुपर बॉय, अब चलो रिजल्ट की खुशी सेलिब्रेट करते हैं। कौन सी मिठाई मंगवाऊं।" हँसते हुए माँ ने कहा और दोनों बाज़ार जाने के लिए निकल गए।



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