ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Inspirational

3  

ऋता शेखर 'मधु'(Rita)

Abstract Inspirational

लघुकथा- चिपको

लघुकथा- चिपको

2 mins
211


नन्हे अतुल का घर बहुत बड़ा था। उस घर में उसके पापा- मम्मी, दादा- दादी और चाचा रहते थे। बड़े घर का आँगन भी बहुत बड़ा था।

“क्यों न आँगन वाली जमीन में दो कमरे बना दें और किराए पर दे दें। बेकार ही वहाँ इतनी सारी जमीन पड़ी है, ”दादा जी ने सबके सामने यह प्रस्ताव रखा।

“मगर दादा जी, वहाँ जो अमरूद का पेड़ है उसका क्या करेंगे,” छठी कक्षा में पढ़ने वाले अतुल ने जिज्ञासा प्रकट की।

“ उसे कटवा देंगे और क्या” अतुल के पापा ने कहा।

“लेकिन पापा, पेड़ नहीं काटना चाहिए। पेड़ हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं।” “बड़ा आया पाठ पढ़ाने वाला, काम है तो पेड़ काटना ही पड़ेगा। तुम अभी बच्चे हो, बाहर जाकर खेलो और हमें अपना काम करने दो, ”चाचा ने अतुल को डाँट दिया।

“जाकर पेड़ काटने के लिए एक मजदूर को बुलाकर ले आओ,” दादा जी ने बेटे को कहा।

“जी” कहकर अतुल के चाचा बाहर चले गए।

अतुल कमरे में बैठकर सोचने लगा। अचानक क्लास में पढ़ाई गई गौरा देवी की कहानी उसे याद आ गई। वन में पेड़ों की कटाई रोकने के लिए गौरा देवी के नेतृत्व में महिलाएँ पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो जाती थीं। उनका कहना था कि पहले उन्हें काटा जाए फिर पेड़ को काटें। चिपको आन्दोलन के बाद सरकार ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी।

आँगन में हलचल बढ़ चुकी थी। पेड़ काटने के लिए शायद मजदूर आ चुका था। अतुल बाहर निकला और अमरूद के पेड़ से चिपक कर खड़ा हो गया।

“ अरे, यह क्या कर रहे हो अतुल। हटो वहाँ से, पेड़ काटने दो,” समवेत स्वर में पापा, दादा और चाचा ने कहा।

“नहीं, पेड़ काटने वाले अंकल को बोलिए पहले मुझपर कुल्हाड़ी चलाएँ, ”अतुल ने अडिग स्वर में कहा।

सब खामोश खड़े थे। अतुल की मम्मी जो दूर खड़ी थीं, ने समर्थन में अतुल को अँगूठा दिखाया।

“पेड़ के दो फीट दूर से नींव की जमीन खोदो”, अचानक दादा जी ने मजदूर को आदेश दिया।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract