सुकून
सुकून
"निधि तुम्हारा व्हाट्सएप पर लिखा मैसेज पढ़कर बहुत सुकून मिला। अच्छा हुआ जो तुमने उसे निकाल दिया।" "सही कहा! सीमा, रोज-रोज की किच-किच, नकारात्मकता से घर की तरंगे प्रभावित हो रही थी। अब शांति है। नहीं तो रोज सुबह आकर काम पर कम ध्यान इधर-उधर की बातें ज्यादा सुनने को मिलती थी। वह तो अच्छा है माँ को भी यह बिल्कुल पसंद नहीं। वह अधिक-से-अधिक आध्यात्मिक किताबें पढ़कर बच्चों का आध्यात्मिक ज्ञान वर्धन करती हैं। नहीं तो यहाँ की अफवाहों के मेले का हिस्सा बन जाती। पहले ये लोग इनके साथ चाय पर चर्चा करते हैं, फिर मसाला इकट्ठा करके शाम होने का इंतजार करते हैं। मिलकर सभी इसी मसाले से नई फ्लेवर्ड चाय बनाते हैं, फिर उससे उठती खुशबू को दूसरे दिन सुबह की चाय में मिला देते हैं ताकि दुगुना आनंद ले सके।" "सोच कर ही डर लगता है, कि उनके घर का माहौल कैसा होगा।" सीमा ने चिंतित स्वर में कहा।
