Akanksha Gupta

Abstract

3  

Akanksha Gupta

Abstract

सुजाता

सुजाता

2 mins
12.1K


सुबह के नौ बज रहे थे। सुजाता अभी तक सो कर नहीं उठी थी। वैसे तो वो रोज सुबह पांच बजे उठ जाती थी लेकिन आज पता नही क्या हो गया था। उसकी सास नयना जी रसोई में चाय बना रही थी। उन्हें भी सुजाता का सुबह देर तक सोना कुछ अजीब लग रहा था क्योंकि उनके कहने के बाद भी सुजाता कभी इतनी देर तक नही सोई। चाहे जितनी भी थकान हो, सुजाता हमेशा वक्त पर ही उठा करती थी।


नयना जी सुजाता के लिये चाय लेकर उसके कमरे में गई। उन्होंने देखा कि सुजाता बेसुध सो रही थी। अब उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने उसके माथे पर रखा। सुजाता को तेज बुखार था। नयना जी सुजाता को उठाने ही जा रही थी कि नीचे से आवाज आई- “सुजाता जरा एक कप चाय तो लाना और कुछ खाने के लिए भी।


नयना जी बाहर आई और अपने बेटे मृदुल के सामने खड़ी हो गई। मृदुल उस समय फोन पर गेम खेल रहा था। उसने माँ को देखकर कहा- “माँ जरा सुजाता को कह दो चाय पकोड़ा कुछ बना दे। बहुत भूख लगी है।”


नयना जी ने उसके हाथ से फोन लेकर नीचे रख दिया। मृदुल खीझते हुए बोला- “ये क्या मजाक है माँ? जल्दी से कुछ खाने को बन दो।” इतना कहकर मृदुल फोन उठाने लगा।


आज से सुजाता कुछ दिनों तक आराम करेगी। वह काम करते करते बीमार पड़ गई है। बेहतर होगा कि तुम अब सुजाता की जिम्मेदारी उसकी जगह संभालो।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract