सुदामा

सुदामा

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श्री कृष्ण की बचपन का कहानी है। जब कृष्ण अपने भाई बलराम और दोस्त सदामा के सात आश्म मे रहने का समय था। तीनों बहुत अच्छा से पढाई करते थे, एक दिन ऋषि पत्नी ने तीनों को फल और फूल लाने के लिए जंगल भेजा। जब घर से निकलने समय सुदामा के हाथ मे पो देकर जंगल मे तीनों मिलकर खाइए बताया।

तीनों जंगल गया। फूल और फल तोडकर बहुत थक गए। कृष्ण सुदामा से बताकर अपने गोदी मे सोगया।। इसी समय वहाँ बलराम भी नही था इसलिए सुदामा अकेले पोहा खाया। इसी समय कृष्ण पूछा है कि भय्या आप क्या खाते गै ?

तुरमत सुदामा जवाब दिया हैकि मेरे हाथ मे कुछ भी नहीं गै खाने केलिए। तब कृष्ण हस कर मै तो स्प्न देखा था की आप अकेले पोहा खारहे है।इसका परिणाम सुदामा बडे होने केबाद नित्य दरिद्र में ही रहा था। बाद में वो समझ गया की बचपन में मैं एक गलत किया इसी के कारण ही हम दरिद्र में रहते हैं।

तब उस्की पत्नी कुछ पोहा एक वस्त्र मे डाल तर श्री कृष्ण को देने केलिए बताया, सुदामा, श्रीकृष्ण के पास जाकर पोहा दिया इसी उसका घर सुभिक्ष हुआ। इसलिए कोई भी अकेले कुछ भी नही खा पाएँगे। आसपास में कोई है तो देकर ही खाने को लेना है।


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