गाँव की पाठशाला
गाँव की पाठशाला
ये छोटी सी गाँव है । गाँव के आरम्भ में नगवाली नदी है। एक दुर्गा देवी मंदिर है। इस गाँव में कक्षा एक सी सातवीं कक्षा तक एक ही पाठशाला है। इसमें लड़की लड़कियाँ दोनों का एक ही पाठशाला है। जब सुशी तीसरी कक्षा में थी तब उसकी भाई पाँचवीं कक्षा था लेकिन वो इसी गाँव में नहीं था अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने के लिए गाँव छोड़कर शहर में हॉस्टल में पढ़ता था।
सुशी जब सातवीं कक्षा में थी तब उसकी मैथ्स टीचर ने नोट्स दिखाने को पुछा लेकिन सुशी आज दिखाऊँगा कल कहकर पूरा वर्ष ऐसे ही गुजर कर परीक्षा लिख कस उत्तीर्ण भी हुई।
सातवीं कक्षा पूरी करके वो बलिकोन्नात पाठशाला में भर्ती हुई। एक दिन जोर सी बारिश हो रही थी सुशी की माँ बाहर खड़ी थी तब सड़क पर मैथ्स टीचर जा रहे थे। माँ ने मास्टर जी को अंदर बुलाकर चाय दिया। चाय पीने के समय माँ सेम्बा सी परिवार के बारे में बातचीत कर रही थी, अचानक उनको सुशी की याद आई। मास्टर जी ने कहा तुम्हारी छोटी बच्ची जादू है, वो ६ मुझे अंत तक अपनी नोटबुक नहीं दिखाई। वो चाय पीकर चले गए ।
बारिश रुका मास्टर जी के घर चलने के बाद सुशी अंदर आई तब माँ ने उसे डाटा तब बड़ी बहन खेलने के लिये सुशी को लेकर चले गई। बस ऐसा ही सुशी कुछ तो कुछ करके बचती है। ये मिसनरी स्कूल है गाँव में बच्चे से लेकर बूढ़े तक उसी स्कूल में ही पढ़े हैं। छोटे छोटे काम करने वाले किसान तक भी उसी पाठशाला में ही पढ़े है वो ही मेरा गाँव की पाठशाला है ।