साथी मेरे यार
साथी मेरे यार
कॉलेज के दिनों मे हर विद्यार्थि की मन मे जो होता है वैसे ही विक्रम के मन मे एक नायक का बिम्ब पडा है। इसी कॉलेज मे श्रुति भी पढ़ती थी। ओ सारी विद्यार्थियों से बहुत प्यार से बात करती थी कॉलेज मे पढ़ाने एक प्रोफसर को देख कर श्रुति की मन मे पहले बार कुछ गड़बड़ हुवा। उसकी दोस्तों परिहास भी किया। एक दोस्त आकर उसकी साथ कहा की तू क्यों हर बार विनय सर के बारे मे ही बात करती हो। इसलिए ही सारे दोस्तों तुमको परिहास करते है कहकर चले गयीं। सिनेमा मे देख ने जैसे बोर्ड मे भी दोनों का चित्र खींचा और कुछ तो कुछ लिखा। लेकिन अगले दिन विनय प्रोफसर सर आकर ये सब बुरे के बात है आप सिर्फ पढ़ने केलिए आये थी ओ कीजिये कहा। आओ तीन महीने के बाद चुप चाप से ओ किसी और को शादी करके आया था। श्रुति के मन मे एक दर्द था क्यों प्रोफेसर सब हम को नहीं बुलाया।
अगले वर्ष प्रारम्भ मे सर के पास जाकर ओ पूछा की आप क्यों हम को शादी केलिए नहीं बुलाया पूछ कर ट्रीट पूछा श्रुति उसकी दोस्तों पांच विद्यार्दिया सर के सात कैंटीन आकर स्वीट वगैरह खाया। सर तो एकी बात कहा आप सब लोग पढ़ाई पर दयान रखिये तीन वर्ष होगया डिग्री प्राप्त कर सारे लोग चले गए। लेकिन श्रुति अपने सर को भूल नहीं पाती इसीलिए ओ एक अच्छे प्रोफसर बनाकर अपने सर से फ़ोन पर बात किया और अल्यूमिनी ग्रुप भी चालू किया सारे मित्रों से खुशी से बात करके अपने अपने परिवार से खुश रहा। जीवन एक उपहार है इसमें सारे दोस्तों और जिन्होंने हम को प्यार किया है और हम जिससे प्यार किया है ओ अनमोल है। प्यार ही जिंदगी है