जासूस
जासूस
नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे ज्यादा से ज्यादा लोग इकट्टा हुए. इसमें एक आदमी कहता है "आज के बच्चों को जिंदगी का मूल्य मालूम नहीं पडता है.एक और कहता है हमारे ज़माने मे इतनी प्रतियोगिता नहीं है इसलिए हम आसान से पढ़े और काम भी मिला. लेकिन आज के बच्चे ऐसा नहीं है. हम घरवाले बच्चों को आदत देना है नही है तो ऐसा ही बच्चों आत्महत्या करने की प्रयास करते है."
इतनी बात होते है बीच मे पुलिस आई और जिन्होंने आत्महत्या की है इस लड़की को बचाया है इस परिवार लोगों से पूछा है. क्यों अपनी बेटी ऐसे किया. माँ तो बताया कल रात से मै भी पूछती हूँ लेकिन ओ मुँह नहीं खोलती."पुलिस ने इस लड़की से बात किया लेकिन ओ कुछ भी नही कहा. ओ बहुत डरती थी.
स्कूल मे पढ़ने लड़की है नाम स्वेता. बहुत तेज से पढ़ानेवाला है. लेकिन ओ क्यों ऐसा किया किसी को भी नहीं मालूम था. स्वेता का चाछा एक जासूस ऑफिसर होने से ओ अपने काम शुरू किया. स्वेता की दोस्तों से पूछा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ
कुछ दिनों के बाद स्वेता अपनी परीक्षा के पहले बहुत डरती थी अपने दोस्त सुरेंद्र ने पूछा क्या बात है मुझे बतादो. ओ रोकर अपने केमिस्ट्री सर ने उससे अपने कमरे आने को बुलाते है नही है तो प्रैक्टिकल का अंक नही देदूंगा बताया है कहकर फिर भी रोती थी.
सुरेंद्र तुरंत स्वेता का चाछा से विषय तो बताया. ओ तुरंत स्कूल के प्रिंसिपल से कहा और एक योजना बताया की आप आज ही अपने टीचर्स को बतादिजिये की सारे बच्चों का प्रैक्टिकल और इंटरनल मार्क्स देना है. कंप्यूटर मे देना है कहिये. प्रिंसिपल भी ऐसे किया. तुरंत ओ सर ने स्वेता को फ़ोन किया और अभी अपने घर आना है नहीं है तो फ़ैल करूँगा. ओ कॉल तो पुलिस रिकॉर्ड किया.
स्वेता को चाछा ने कहा की हम है तुम्हारे सात गुस्सा बिना डर कर जाओ. सीदे स्वेता उस सर का घर गई. पीछे ही पुलिस गया और समय पर स्वेता को बचाकर इस सर को पकड़ लिया.
हर स्कूल मे हफ्ते मे एक दिन पुलिस माफ़ती मे जाकर लेक्चर देते है और लड़कियों को धैय देकर रहना कैसा है कहकर बच्चों की आत्माविश्वास को बढ़ाते है.
इसलिए हम ओ बात याद रखना है की हर व्यक्ति निडर होकर जीना है.