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Ramesh Mendiratta

Abstract

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Ramesh Mendiratta

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सरकारी लौकियों की बेलें

सरकारी लौकियों की बेलें

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उस सरकारी ज़मीन का कोई मां बाप नहीं था। कुछ आवारा कुत्तों ने उस पर अपना रैन बसेरा बना रखा था। यह आये दिन आते जाते लोगों को काटते और अपनी जान संख्या बढ़ाते। 

हुआ यह कि उसी ज़मीन पर जंगली पेड़ों पर कुछ जंगली किस्म की लौकियाँ उग आई। उस ज़मीन का कुछ भाग रेलवे का था और कुछ भाग रक्षा विभाग का था। 

कुछ अजीब प्रजाति की थी यह लौकिया, दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही थी एयर हज़ारो की संख्या में हो गयी, अजीब ही नज़ारा था। अगले भूमि निरीक्षण में संबंधित अफसर ने रिपोर्ट दर्ज की कि लौकियों की बेलों को और पेड़ों को हटाया जाये। रेल गाड़ियों के ड्राइवर लोग भी ठीक से तर्कक नहीं देख पा रहे थे और एक्सीडेंट भी हो रहे थे। 

 रेलवे वालो ने आनन् फानन में पेड़ो और लौकियों की बेलो को कटवाने का टेंडर जारी कर दिया। 

अब रक्षा विभाग को भी इसकी भनक लग गयी और एक नोट रेल मंत्रालय को भेज दिया गया कि टेंडर निरस्त किया जाये क्योंकि ज़मीन का चालीस फीसदी भाफ रक्षा विभाग का ही था। 

रेल मंत्रालय ने सेफ्टी की दुहाई दी और पेड़ो और बेलों को कटवाने की मांग दोहराई। 

टेंडर पर तो कुछ रेस्पोंस आया नहीं और रेल व् रक्षा विभाग आमने सामने हो गए। 

लौकियाँ तेज़ रफ्तार से बढ़ रही थी,एक्सीडेंट भी बढ़ रहे थे,और जनता भी एक्सीडेंट के कारण विओध कर रही थी। 

अब आगे देखिये क्या हुआ, ।। अब पर्यावरण विभाग को पता चल गया कि जिन पेड़ो को काटा जाना है उनमे से कई प्रजातियां संरक्षित सूची में आती हैं। 

विपक्ष को भी पता चल गया और उन्होंने " लौकी घोटाला " नाम से सरकार पर हमला बोल दिया। ।।यह कहते हुए कि सरकार कई संरक्षित प्रजाति के पेड़ों को जंगली पेड़ के नाम से कटवाने की चेष्टा कर रही हे। उनके मुताबिक काफी पैसा बनाये जाने की चेष्टा हो रही थी। 

प्राइवेट न्यूज़ चैनल वाले क्यों पीछे रहते,पेड न्यूज़ के नकमम से लोग इनका मज़ा ले रहे थे। 

मजबूर हो कर सरकार को इस विषय पर सरंक्षित पेड़ो पर और जंगली लौजियों को कटवाने हेतु एक कमेटी बनानी पड़ी। 

तीन वर्ष के बाद कमेटी आज भी चल रही है।रेल दुर्घटनाएं बढ़ गयी हैं। मीटिंग होती ही रहती है। 

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि अगले चुनाव में तथा कथित लौकी घोटाले का फायदा पूरी तरह विपक्ष उठाएगा।

 


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