यह मेरा शहर नहीं हो सकता
यह मेरा शहर नहीं हो सकता
एक थी लोमड़ी ,एक गधा और बाकी तो जंगल मे सभी थे, शेर आदि को छोड़ कर । हुआ यह कि चुनाव हुए और अंधों मे काने यही दोनो चुनाव जीत गए। अब एक कुर्सी और दो जन, तो लोमड़ी ने कहा कि टॉस कर लेते हैं।
टॉस कर लिया और गधा बन गया अध्यक्ष। शायद टॉस न किया हो, हमें इससे क्या? होता तो पिल्लै या चूहे या जो भी होते है, खेलते ही रहते हैं , बे खौफ... तो एक कुर्सी, और वो भी अध्यक्ष की, गधे की तो निकल पडी, कभी ऊपर से देखे, कभी नीचे से, कभी साइड से, मामला यह था कि कभी बैठा ही नही था जीवन में कुर्सी पर, तो कभी कुर्सी को सूंघ कलोमड़ी का जरूर कोई छुपा हुआ एजेंडा था पर जाने दीजिये उस बात को अभी। एहीर जाइज़ा ले जैसे यह कोई खाने की चीज हो।
गधे को यह भी लगा कि कहीं यह शौच करने वाली कुर्सी तो नही है, खैर, बैठने की कोशिश करने लगा जी जान से ।
अब यह कोई खेल तो था नही, बाकी के गधे उसे सलाह देने लगे, सर, ऐसे नही वैसे बैठिये, अपने कान को उस छेद में डाल के निकाल कर बैठिये, उस तरफ आपकी पूँछ दिख रही है, उस तरफ आपकी @@## दिख रही है, छुपा के बैठिये आदि।
किसी को आईडिया आया और कुर्सी मे गधे की पूँछ के लिए एक छेद कर दिया गया। अब उसमे से गधे की पूँछ निकाली गई और गधा जैसे तैसे बैठ ही गया तो उसने आदेश दिया कि जंगल के सारे लोग उसे महाराजाधिराज कह के सम्बोधित करें....
पर एक चिड़िया गधे को काफी तंग कर रही थी, उसके ऊपर पोट्टी भी कर देती पर गधा मजबूर था क्युंकि पूँछ निकाल के या निकलवा के उसे काफी वक़्त लगता था और गधा कुछ कर नही पाता था।
( लोमड़ी दिल ही दिल मे मुस्कुराती थी)
अगला आदेश यह निकाला कि सब लोग इसकी कुर्सी की पूजा करें आ कर, जो न करे उसको दस कोड़े लगेंगे।
( लोमड़ी फिर मुस्कुराई)
अब रोज़ गधे की पूँछ कुर्सी से निकाली जाती और रोज़ गधे को काफी मुश्किल होती उठने बैठने मे, पर यह हमारी कहानी का विषय नही है । गधे के आदेश कुछ पड़े लिखे लोग मान नही रहे थे तो गधे ने उनके ऊपर जुर्माना ठोक दिया।
(लोमड़ी मुस्कुरा रही थी दिल ही दिल मे)
शेर को सब खबरें मिल रही थी और वो आनन्द ले रहा था। जंगल की आचार संहिता का पालन हो नही रहा था।
( लोमड़ी मुस्कुरा रही थी)
फिर जो लोग उसको महाराजा धिराज नही कहते थे उनके खिलाफ उसने वारंट निकलवा दिये। पुलिस ने उन्हे अरेस्ट किया पर कोर्ट ने एक घण्टे मे ही छोड़ दिया।
अब आगे क्या हुआ होगा, आप जानते ही है, अराजकता मच गई, गधे के गुंडे राज को किसी ने सहन नही किया और लोमड़ी मुस्कुराती रही ।
आगे कुछ ज्यादा नही कहानी मे, शेर आया और गधे को मार कर खा गया और खुद बैठ गया कुर्सी पर
(अब लोमड़ी नही मुस्कुराई।)