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कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Tragedy

2.5  

कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Tragedy

समाज सेवा

समाज सेवा

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“तो तुम शिक्षक बनना चाहती हो?” – मेनेजर ने पूछा

“जी” – उसने कहा.

“टीचर क्यों बनना चाहती हो?” – अगला सवाल था मेनेजर का

“मुझे देश के बच्चों का भविष्य सुधारना है” – उसने सिर उठा कर कहा

“यानि समाज सेवा करना चाहती हो...?” – मेनेजर

"ज ज...जी” – उसके मुंह से निकला

“बढ़िया...मुझे ख़ुशी है कि देश में तुम जैसे लोग भी हैं...यह देश बहुत तरक्की करेगा...ठीक है...कल से तुम ज्वाइन कर सकती हो...” – वह गर्व से बोला

उसके आंसू छलक आए थे.

ख़ुशी को किनारे करते हुए उसने पूछा – “सर...तन्खवाह...?”

“भला...समाज सेवा की भी कोई तनख्वाह होती है?” – मेनेजर बोलता हुआ निकल गया.

“समाज सेवा करने के लिए पेट में अन्न भी होना चाहिए...तन्खवाह के बगैर कैसे...?” – बोझिल पैर से वह भी बाहर निकल आई थी.


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