समाज सेवा
समाज सेवा
“तो तुम शिक्षक बनना चाहती हो?” – मेनेजर ने पूछा
“जी” – उसने कहा.
“टीचर क्यों बनना चाहती हो?” – अगला सवाल था मेनेजर का
“मुझे देश के बच्चों का भविष्य सुधारना है” – उसने सिर उठा कर कहा
“यानि समाज सेवा करना चाहती हो...?” – मेनेजर
"ज ज...जी” – उसके मुंह से निकला
“बढ़िया...मुझे ख़ुशी है कि देश में तुम जैसे लोग भी हैं...यह देश बहुत तरक्की करेगा...ठीक है...कल से तुम ज्वाइन कर सकती हो...” – वह गर्व से बोला
उसके आंसू छलक आए थे.
ख़ुशी को किनारे करते हुए उसने पूछा – “सर...तन्खवाह...?”
“भला...समाज सेवा की भी कोई तनख्वाह होती है?” – मेनेजर बोलता हुआ निकल गया.
“समाज सेवा करने के लिए पेट में अन्न भी होना चाहिए...तन्खवाह के बगैर कैसे...?” – बोझिल पैर से वह भी बाहर निकल आई थी.