कलमकार सत्येन्द्र सिंह
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नई दुल्हन को रिवाज़ के हिसाब से अपने हाथ का छाप लगाना था।
वह घर के मुख्य द्वार पर छाप लगाने जा ही रही थी कि जेठानी प्यार से उसे घर के अंदर ले आई और देवर के कमरे के बाहर छाप लगवा दिया।
विभाजन का सीमांकन हो चुका था।
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