सलाह लेना भी जरूरी है
सलाह लेना भी जरूरी है
सलाह लेने से पूर्व कबूल करे कि आपको सलाह की जरूरत है,
सलाह सदा नम्र होकर ले, यह न समझे कि सामने वाला आपसे कम होशियार है वह आपसे ज्यादा न पढ़ा हो पर उसके अनुभव आपसे ज्यादा हो सकते हैं।
आपका सही सलाहकार वही हो सकता है जिसका आपसे कोई स्वार्थ न हो, जो आपका न दोस्त हो न दुश्मन।
ज्यादातर हम सब अपने किसी करीबी, दोस्त, रिश्तेदारों से सलाह लेते हैं लेकिन जरूरी नही कि वो हमें सही सलाह दे क्युकी उनका मोह, प्रेम हमसे जुड़ा होता हैं।
उदाहरण के लिए आप देखें:-
यदि आप अपने दोस्तों से पूछते है,
मैं सन्यासी होना चाहता हु क्या करू, तो वे (दोस्त)आपको रोकने का प्रयास करेंगे सलाह नहीं देंगे।
दूसरा उदाहरण देखें, यदि आप अपने पिता से किसी चुनौती भड़े कामों को पुरा करने के लिए सलाह माँगते है तो संभवत: वे आपको न सलाह दे न इज़ाज़त।
आपके दोस्त आपसे अधिक प्रेम करते है इसलिए खोना नहीं चाहते और पिता जल्द आपको सफल, खुद के पैरो पर खड़ा देखना चाहते है इसलिए सरल आम रास्ता चुन आगे बढ़ने को कहें जिसपर लाखों बढ़ रहे।
यदि रिश्तेदारों से आप सलाह लेने जाते है तो हो सकता है उनका अनुभव उस छेत्र में कम हों या हो ही नही, जिससे बाद में आपको निराश होना पड़ सकता है।
अतः अपना सलाहकार किसी अनुभवी को चुनें जो भले कड़वी बोले किंतु सच बोले।
