नया साल 2022 को,
नया साल 2022 को,
गाँव में जहाँ एक बिल्ली के मरने पर काफी भीड़ जुट जाती है, लाठी टेक कर चलते बुजुर्ग के मरने पर भी पुरा गाँव मायूस हो जाता है।वही शहर में मैंने इसकें बिल्कुल उलट देखा,, लोग गर्दन झुकाए एक बाप के जवान बेटे कि लाश को देर तक देखे तो जरूर! मगर पल भर बाद 12 बजते ही नए साल का जश्न मनाते हुए वियोग में डूबे परिवार का अपने चिल्ला चिल्ली जश्न के आवाज़ों से मजाक उड़ा रहे थे। गाँव की खूबसूरती को देखा हुआ इंसान जब पहली बार शहर की बदनसीब हवा को देखा, तो उसकें मन में क्या दर्द उठे, उसी को अपनी कविता से मैंने बताने कि कोशिश की है।।
उजड़ते हुए बहन के सपने
देखने एक माँ के छिनते गहने
गिद्ध, चील, कौआ थे उमड़े
नोच खाने उसके दुःख के चमड़े।
(दुःख को मिटाने)
वियोग में डूबा खड़ा था बाप
आगे उसके बेटे का पड़ा था लाश,
गिद्ध,चील,कौआ कर रहे थे अपनी बात
नए साल में बनेगा मुर्गा भात।।
पल भर पहले जहाँ से उठा था लाश
लगा जैसे वहाँ फटा हो ताश,
छन भर बाद कोई न था निराश
गूँज रहा था नया साल मुबारकबाद।