तीन प्रकार के लोग
तीन प्रकार के लोग
इस धरती पर तीन प्रकार के लोग रहते हैं
सुखी (खुश)
दुःखी (परेशान) और
नाखुश (इनका अपना कोई विचार नहीं होता)
उपर के दो लोग तो सही हैं जिन्हें देख के इंसान को पता चल जाता हैं कि वे खुश हैं या परेशान।
किंतु जो नाखुश इंसान हैं वो किसी भी इंसान, समाज, के लिए जहर समान हैं क्योंकि इस धरती पर कुछ भी ऐसा नहीं जिसे वो स्वीकार करके खुश रहने कि सोचे।
यदि कोई दूसरा इंसान कुछ अच्छा करने कि सोचे तो ऐसे लोग (नाखुश) खुद परेशान हुए बिना अपने जहर उगलती वाणी से उसे (इंसान जो कुछ अच्छा करने कि सोच रहा) चिंतन की जगह मुफ्त में चिंता दे देते हैं।
ऐसे लोगों को पहचानने कि जरूरत नहीं, वे अपना परिचय स्वयं दे रहे होते हैं।
जैसे- यदि आप आम के मिठास पर अपनी चर्चा कर रहे होंगे तो ऐसे लोग बिना आपको सुने आम कि खटास पर बात करेंगे, आप कुछ भी बोले या सोचे उसके विपरीत इनका बर्ताव होता है।
ऐसे लोगों को सदा अपनी बात मनमानी (स्वीकार करवाना) पसंद होती हैं कि, केवल मैं ही सही हूँ बाकी दुनिया गलत भले ये जल को आग बोले।
इनके लिए किसी दूसरे इंसान पर हँसना बहुत आसान होता हैं, ऐसे लोग अपने अतीत को लेकर खुद को कोसते रहते हैं, किसी इंसान या समाज का विकास इनसे देखा नहीं जाता।
तो सबसे जरूरी सवाल कि ऐसे लोगों से हम सावधान कैसे रहे??
उत्तर बिल्कुल आसान हैं यदि आप इनसे उलझेंगे तो सदा के लिए उलझे रह जाएंगे क्योंकि आपका कोई लक्ष्य या सपना होता हैं,
इनका (नाखुश) पल पल बदलते रहता हैं।
ऐसे लोग (नाखुश) जो भी बोले उसे सुनकर उन्हें ऐसा अहसास दिला दे कि प्रभु आप बिल्कुल सही हैं मैं आपके बातों से सहमत हूँ ।
जब उन्हें ये अहसास हो जाएगा तो वो आपको बिना उलझाए खुशी खुशी आपसे दूर होकर किसी दूसरे इंसान के पास उन्हें उलझाने के लिए पहुँचेंगे।
जैसे कोरोना से सावधानी के लिए मास्क और सेनेताईज़र जरूरी हैं,
ऐसे नाखुश लोगों से सावधान रहने के लिए अपने आत्मविश्वाश, क्रोध इत्यादि पर खुद का मजबूत नियंत्रण बहुत जरूरी हैं।