सिर्फ़ फ्रेंड्स या और कुछ ?
सिर्फ़ फ्रेंड्स या और कुछ ?


सिर्फ़ फ्रेंड्स या और कुछ ?
यह सवाल क्या सिर्फ सवाल भर है ? शायद नहीं....
यह सवाल सिर्फ सवाल नहीं बल्कि यह इशारा भी करता है.....
यह किसी लड़के और लड़की के दरमियान के अहसास को समझने के लिए मौका देता है। यूँ कह सकते है की यह सवाल उन दोनों के दरमियान के रिश्ते को पहचानने का भी मौका देता है।
आम तौर पर यह सवाल तभी पूछा जाता है तब उन दोनो की 'बॉडी लैंग्वेज' कुछ कहती है।
वह लड़की का निगाहें झुकाकर बात करना और लड़के का निगाहों में निगाहें डालकर बात करने की कोशिश करना....
लड़की का वह बेवजह मुस्कुराना....
जहाँ वजह हो वहाँ मुस्कुराना नहीं बल्कि गुमसुम रहना ...
बार बार आत्ममुग्धा सी आइने के सामने खड़ा होना ...
और आइने को वो समझकर बात करते हुए लजा जाना ...बहुत कुछ कहता है ...
आँखों से बुलाना पर मुँह से भगाना भी क्या ख़ूब चितवन है ...
और लड़का?वह भी कोई अलग थोड़े ना होता है।
बेवजह ही ही करना ...
लड़की को देखते ही..हाथों से बाल की तरतीबी लटों को भी बेतरतीब करना...
सींकिया होते हुए भी दबंगी चाल से चलना ...
इसे कहते हैं दोस्त नहीं कुछ और होना...
वैसे भी दोस्ती और कुछ और के बीच इतना महीन अंतर है ...
ये सारे इशारें ही सवाल करते रहते है, तुम दोनों सिर्फ़ फ्रेंड्स हो या और कुछ ?
आप यह जान लीजिए कि जब कोई यह सवाल करता है तब मान लीजिए कि 'वे' सिर्फ फ्रेंड्स नहीं "और कुछ" होते है।