STORYMIRROR

Krishan Dutt

Abstract Inspirational

3  

Krishan Dutt

Abstract Inspirational

शुभ भावनाएं

शुभ भावनाएं

3 mins
293

"नूतन वर्ष 2021 की कोटि कोटि शुभ भावनाएं"


यह एक वैश्विक परम्परा रही है कि हम सभी प्रतिवर्ष अभिनव वर्ष की शुभ बेला के प्रारम्भ में आपस में एक दूसरे को शुभ भावनाएं देते हैं या संप्रेषित करते हैं। भारत देश में तो इस तरह की और भी अनेक परम्पराएं हैं। ये परम्पराएं जीवन के आधारभूत तथ्य को स्मृति में लाने की ओर संकेत करती हैं। वास्तव शुभ भावनाएं देना और लेना आन्तरिक सम्पदा के लेन देन की बात है। जब भी हम किन्हीं भी अवसरों पर एक दूसरे को शुभ भावनाएं देते हैं तो तत्क्षण अपने जेहन में स्पंदन स्पंदित होते हैं। हम उस वक्त यह अनुभव कर सकते हैं कि मेरे हृदय केन्द्र से शुभ भाव के स्पंदन के स्पंदित होने की तीव्रता कितनी है। भाव स्पंदन की तीव्रता जितनी होगी, सामने वाली आत्मा को उतनी ही तीव्रता से शुभ भावना/दुआ/आशीर्वाद/स्नेहिल भाव अनुभव होगी। अपवाद की बात अलग है। शुभ भावनाओं का सीधा सम्बन्ध हृदय केन्द्र से होता है। इस संदर्भ में शुभ भावनाओं के कई अर्थ होते हैं। 


भाव स्पंदन का प्रवाह जिस ढांचे व खांचे के द्वारा होता है उसके ही अनुसार उसका नाम दे दिया जाता है। शुभ भावनाएं अनेक रूप लेती हैं। होती वह शुभ भावना ही है जो अलग अलग खांचे और ढांचे के द्वारा संप्रेषित होती है। उसे हम अलग अलग नाम से नवाजते हैं। शुभ भावनाएं और शुभ कामनाएं भी दो चीजें नहीं हैं। शुभ भावनाएं और मुबारक दो चीजें नहीं हैं। ये एक ही हैं। शुभ भावनाएं और दुआएं दो चीजें नहीं हैं। ये एक चीज के दो नाम हैं। शुभ भावनाएं और आशीर्वाद दो चीजें नहीं हैं। ये एक ही हैं। इन सभी में एक ही शुभ भाव की ऊर्जा का प्रवाह होता है। ये समानार्थक शब्द हैं।


यह एक शुभ भावना ही है जो विभिन्न प्रकार के काम बिना बोले ही मौन स्वर से कर सकती है। शुभ भावना के संदर्भ में यह भी समझ लेना जरूरी है कि यह भिन्न भिन्न तरीके से तो काम करती ही है। लेकिन साथ साथ में इसकी पृष्ठभूमि की गुणवत्ता पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। पृष्ठभूमि से हमारा भावार्थ है कि जिस भाव केन्द्र के स्रोत से शुभ भावनाएं प्रस्फुटित हो रही होती हैं उस स्रोत की तजस्विता की percentage कितनी है उस पर निर्भर करती है शुभ भावना की त्वरा। इस पर निर्भर करता है कि उस भाव केन्द्र के स्रोत में कितनी शान्ति और कान्ति है। सभी प्रकार की संपदाओं में यह भाव सम्पदा एक आधारभूत और अनूठी सम्पदा है। यदि पूरे मनोयोग से किसी आत्मा के लिए शुभ भाव को सक्रिय कर भाव संप्रेषित किया जाए तो तुरन्त एक नई ऊर्जा उस आत्मा के पास पहुंच जाती है। अध्यात्म के साधक को सचेत रहने की भी जरूरत होती है। वह यह कि यह शुभ भाव कभी कम नहीं हो। अध्यात्म के साधकों की एक ऐसी पराकाष्ठा की स्थिति भी बन जाती है जब उनसे कभी भी अशुभ भाव पैदा नहीं हो सकता। उनसे केवल दुआओं/शुभ भावनाओं का ही निर्झर झरना बेशर्त निरन्तर बहता है। वे बिना किए भी अप्रत्यक्ष रूप से बहुत कुछ शुभ करते रहते हैं।


इस नए वर्ष 2021 में आपके भाव केन्द्र में नई ऊर्जा नई शान्ति और नई कान्ति नए तेज का उदय हो और आपके जीवन में अविनाशी सम्पदा का इजाफा निरन्तर होता रहे- ऐसी मेरी हार्दिक शुभ भावनाएं हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract