सही कदम
सही कदम
"मैडम जी ₹50 के इस नोट पर फूल की आकृति बनी है, यह नोट अब मार्केट में नहीं चलता, कृपया आप दूसरा दीजिए।"
फल बेचने वाली महिला ने पूजा से कहा। "लेकिन मेरे पास अभी बस इतने ही पैसे हैं, चाहो तो तुम अभी रख लो, जब मैं कल वापस आऊंगी तुम्हें दूसरा नोट दे दूंगी।" "ठीक है मैडम जी" लगातार चार दिनों तक पूजा दूसरा 50 का नोट लेकर उसकी दुकान पर आती रही, लेकिन हर बार वह यही कह देती- "मैं घर भूल आई हूं, कल ले आऊंगी।" जब पांचवें दिन फिर पूजा ने पूछा तो कहने लगी - "मैं कल जरूर लाऊंगी, आप कल आओगी न?" "हां"। कहकर पूजा लौट आई, आखिरकार छठे दिन पूजा ने उसे सही नोट देकर राहत की सांस ली। चेहरे पर मुस्कान लिए वह कह उठी- "मैडम जी कौन आपकी तरह याद रखता है, मैंने लोगों को नजरें चुराते देखा है लेकिन कभी किसी को आपकी तरह दूसरों की भावनाओं का सम्मान करते नहीं देखा।"