anuradha chauhan

Tragedy

5.0  

anuradha chauhan

Tragedy

शामली

शामली

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शामली की सिसकियां बार-बार सन्नाटे को भंग कर रहीं थीं। पास पड़ी टूटी चूड़ियां शामली के बिखरे बाल सारी कहानी कह रहे थे। वहीं पलंग पर उसका मंदबुद्धि पति शंकर सुख की नींद सो रहा था।

शामली सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी सोलह साल की सुंदर लड़की थी पिता राघव पैसे से किसान थे घर की कमाई का एकलौता जरिया थे।

राघव बहुत मेहनती किसान था। पर पिछले तीन साल से अच्छी बारिश न होने के कारण उस पर जमींदार का काफी कर्ज हो गया था। इस बार फसल अच्छी हुई थी। पर वो भी बारिश की भेंट चढ़ गई।

राघव टूट जाता है और खुदकुशी जैसा गलत कदम उठा लेता है। उस रात बहुत कुछ बदल जाता है।

शांति के ऊपर सात बच्चों के पेट भरने की जिम्मेदारी आ जाती है।

जमींदार भी अपना कर्जे का तकाजा करने आ जाता है। शांति को कुछ नहीं सूझ रहा था। एक तरफ कर्जा, दूसरी तरफ आठ पेट की अग्नि को कैसे शांत करे।

शांति जमींदार के घर का काम करने लगती है। जमींदार शांति से कहता है।देख शांति तू अगर शामली का विवाह शंकर के साथ कर दे तो मैं तेरा सारा कर्ज भी माफ कर दूंगा और तेरी पगार भी दुगनी कर दूंगा। और हर महीने राशन भी।

शांति के सामने कोई और चारा नहीं था अपने बच्चों की भूख मिटाने और कर्ज चुकाने का।पेट की अग्नि के सामने माँ की ममता हार जाती है।

शामली की शादी मंदबुद्धि शंकर से हो जाती है।आज सब चैन से सो रहे थे। शामली के भाई-बहन, शंकर अपनी-अपनी ज्वाला शांत कर ।जाग रही थी तो शांति अपनी फूल सी बेटी की बलि चढ़ाकर अपराधबोध से और शामली मंदबुद्धि शराबी पति पाकर फूटी किस्मत को लेकर।


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