STORYMIRROR

Avinash Agnihotri

Tragedy

4  

Avinash Agnihotri

Tragedy

सेवा

सेवा

1 min
303

 

"अरी सोना आज तो कहीं से खाने की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है",अपने पैर के घुटने मसलाती उसकी सास ने उससे पूछा।

तब वह तपाक से बोली "हां अम्मा सामने की मल्टी में वह जो मेरी मालकिन है ना ,जिनके यहां में घर का काम करती हूं,उनकी सास शांत हो गई है,उन्ही की आत्मा की शांति के लिए पूजन व भोज रखा है। तुम उदास न हो अम्मा,शाम को हमे भी परोसा मिलेगा" सोना ने चहकते हुए आगे जोड़ा।

इसपर अम्मा बोली "उसकी सास..", अम्मा आगे कुछ पूछती इसके पहले ही सोना फिर बोल उठी "हां अम्मा मालकिन की एक सास भी थी,जो सालों से ,उनसे दूर किसी आश्रम में रहती थी।"

उसकी बात सुन अपने ख्यालों से बाहर आ फिर अम्मा बोली "कभी कभी मैं सोचती हूं,कि क्या वाकई मरने के बाद भी कोई खाने आता होगा?"

"अब मैं कोई पढ़ीलिखी तो हूँ नही कि पोथी पुराण बाच कर इसका उत्तर जान लूं,पर हां अम्मा,बचपन मे मेरी दादी जरूर मुझसे कहती थी। कि असली सेवा तो जीते जी की ही है,मरने के बाद तो सब बस......." उनके दुखते घुटनो पर अपने हांथो की रफ्तार बढ़ाते हुए सोना बोली।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy