सेल्फी वाला लव

सेल्फी वाला लव

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स्मार्ट फोन बाज़ार में आये बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ था, लेकिन ये पापुलर हो चुके थे। और सेल्फी का क्रेज भी रफ्तार पकड़ चुका था।

माकड़ ने स्मार्ट फोन ही इसलिए लिया था कि सेल्फी खींच सके। पहली सेल्फी खींची तो चेहरा बेढब आया। उस दिन वो दिन भर अलग अलग कोणों से स्थान बदल बदल कर सेल्फी खींचता रहा। आखिरकार वो सेल्फी खींचना सीख गया। इसके बाद उसने अपने मित्रों के साथ सेल्फी खींची। अब उसका शौक हो गया सेल्फी लेना और फेसबुक पर डाल देना।

नयी नयी तकनीकों का समाज पर असर पड़ता है। उसके कॉलेज में लड़के, लड़कियों की दोस्ती मापने का पैमाना सेल्फी हो गया था। जिस लड़की ने जिस लड़के के साथ सेल्फी खिंचवा ली। उनकी दोस्ती पर मोहर लग जाती थी। फिर वे बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेड की श्रेणी में नज़र आते थे। जिनको अपनी दोस्ती उजागर करनी होती थी वे उस सेल्फी को व्हाट्सप और फेसबुक पर पोस्ट करते वरना अपने पास ही रखते थे।

मतलब ये पहले लड़का अगर लड़की से कहता था, “क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?”

अब कहता था, “क्या मैं तुम्हारे साथ सेल्फी ले लूँ।”

माकड़ रूबी को पसंद करता था। वह उसके साथ पक्की दोस्ती करना चाहता था। अधिक स्पष्ट कहा जाये तो वह रूबी को अपनी गर्ल फ्रेंड बनाना चाहता था। रूबी से बातचीत तो होती थी किन्तु अपने दिल की असली बात बताने की हिम्मत नहीं पड़ती। इस बारे में रूबी क्या सोचती है? इसका पता तो सेल्फी वाले फोर्मूले से ही आसानी से लग सकता था। इसके लिए उसकी हिम्मत नहीं होती थी। तो अब उसने रूबी के बिना जाने उसको बैकग्राउंड में रख कर सेल्फी लेना प्रारम्भ किया। रुबी कहीं बैठी या खड़ी होती तो माकड़ ऐसी जगह खड़ा हो जाता की उसके पीछे या बाजू में रूबी होती और सेल्फी के फ्रेम में आ रही होती। वो इस प्रकार रूबी के साथ सेल्फी लेने का संतोष अनुभव करता था।

एक दिन माकड़ ने ये सेल्फियां अपने परम मित्र मुरली को दिखायी।

मुरली ने कहा, “जब चाहते हो तो उसके साथ सेल्फी क्यों नहीं खींचते।

माकड़ बोला, “यार हिम्मत नहीं हो रही।“

मुरली ने कहा, “लोग आई लूव यू कहने में जरा नहीं झिझकते। तुम्हें सेल्फी के लिये पूछने की हिम्मत नहीं पड़ती। ऐसा न हो तुमसे पहले कोई और सेल्फी लेले।और सच में ऐसा ही हुआ। दूसरे दिन कॉलेज आते वक्त माकड़ ने देखा कि रूबी किसी अजनबी लड़के के साथ सेल्फी खिंचवा रही थी। पहले तो माकड़ को बहुत गुस्सा आया। उसकी इच्छा हुई लड़के का गिरेबान पकड़ के दो झापड़ लगाये और पूछे, “तेरी रूबी के साथ सेल्फी लेने की हिम्मत कैसे हुई?”

फिर उसने अपने आप से मन में कहा, “इसमें उन दोनों का क्या दोष! मैंने तो रूबी के साथ सेल्फी ली नहीं थी। मुझे आपत्ति करने का क्या हक है?”

उसका दिल टूट सा गया। वह उदास रहता था और उसका मन अपनी सेल्फी लेने का भी नहीं करता था।

एक दिन रूबी ने पूछा, “ माकड़ जी आजकल आप बड़े गंभीर और उदास रहते हैं। क्या बात है?”

माकड़ ने कहा, “नहीं तो।”

आजकल आप सेल्फी भी नहीं खीचते।

माकड़ ने बहाना किया, “मेरे फोन में कुछ डिफ़ेक्ट आ गया है।

रूबी ने अपना फोन निकाला और बोली, “लीजिये मेरे फोन से हम दोनों की सेल्फी लीजिये”

माकड़ ने कहा, “आपको मैंने कॉलेज के बाहर एक लड़के के साथ सेल्फी खिंचवाते देखा था।“

रूबी ने कहा वह तो मेरा चचेरा भाई था घूमने आया था। कॉलेज की बिल्डिंग उसे अच्छी लगी तो बोला “कॉलेज की बैकग्राउंड में हम दोनों की सेल्फी लेते हैं। मैंने कहा ओके।”

माकड़ का चेहरा खिल गया। वह बोला, “चलो हम लोग भी बाहर चलकर कॉलेज की बैकग्राउंड में सेल्फी लेंगे।"

रूबी ने कहा, “अच्छा आइडिया है । चलिये । "

कालेज के बैकग्राउंड में माकड़ ने रूबी के साथ अलग अलग एंगलों से कई सेल्फ़ी लीं ।

आखिरकार माकड़ की बात बन गयी।


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