सदमा
सदमा
जिंदगी भी कितने इम्तहान लेती है, प्यार कभी पूछ कर नहीं होता और जब होता है उम्र नहीं देखता।
नन्हे मुन्ने वो छोटी उम्र के दोस्त थे, मेहमान बनकर आये थे पास वाले घर में बहन भाई और उनकी दोस्ती हो गयी अपनी हमउम्र उस लड़की से। स्कूल की छुट्टिया चल रही थीं। तीनो मिलकर बहुत खेलते बातें करते..
बचपन की वो दोस्ती, घंटो वो टेरेस पर क्रिकेट खेलते। दिन जाने कैसे और कब बीत गए और फिर वो जुदा हो गए। वो लड़का उस लड़की को भूल गया और लड़की कभी ना भूल पायी और लड़के को भी यही लगा कि लड़की उसे भूल गयी..।
बड़ा होकर वो लड़का डॉक्टर बन गया और उसकी शादी भी हो गयी पर उसकी जिंदगी में शादी के बाद भी खुशियाँ ना मिली और उसका तलाक हो गया। फिर उस लड़की की दोस्ती उसे याद आयी। उससे मिलने पहुँचा और उससे शादी करना चाहता था लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। उससे मिला भी प्रोपोज़ भी किया पर एक दिन एक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गयी..।
लड़की भी ये सदमा ना बर्दाश्त कर सकी क्योंकि वो उसका पहला और आखरी प्यार था..और उसकी भी मौत हो गयी....