Sajida Akram

Tragedy

5.0  

Sajida Akram

Tragedy

सड़क छाप मजनू

सड़क छाप मजनू

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"आज न्यूज पेपर में कुछ ऐसा पढ़ना हुआ कि मन के किसी कोने में दबी स्मृति फिर से ताज़ा हो गई, मैं बैठे-बैठे अपनी अतीत के पन्नों को फिर से पलटने लगी।

बात उन दिनों की है जब हम 14-15 उम्र की दहलीज़ पार करके 'हॉयर सेकेंडरी' स्कूल में क़दम रखा था। ये उम्र होती ही अल्हड़ है।

हम 3-4 लड़कियाँ उस मोहल्ले से साथ स्कूल जाते थे, स्कूल के वो दिन बड़े मज़े के होते थे। ख़ूब मस्ती करना, इतनी बातें की कभी ख़त्म न हो।अपनी ही धून में 'अल-मस्त'।

ज़िन्दगी के दिन हसीन ख़्वाबों की तरह गुज़र रहे थे, क्योंकि ऐसा लगता था,जैसे हमें ही आज़ादी मिली हो।

हमारे साथ "विनी" भी स्कूल जाती थी, वो इतनी शोख़, मासूम, ख़ूबसूरत थी उस पर उसका 'अल्हड़पन'।

'हमें पता ही नहीं था कि कुछ "सड़क छाप मजनू" हमारा पीछा करने लगें हैं। हम सब लड़कियाँ तो "आज़ाद परिंदों "की तरह खुले 'आकाश' में अपने "पर तोलने" लगीं थीं, विनी की शोख़ अदाएं।

"सड़क छाप मजनूओं में एक 'जमींदार'का बेटा भी था, जिसको विनी का शोख़पन,मद -मस्त अदाएं बहुत आर्कषित करने लगीं थी, वो समझता की विनी भी प्यार करती है।

'विनी तो अपनी शोख़-चंचलता में मस्त रहती और अल्हड़पन में, हमारे ग्रुप की 'जान'थी "विनी", वो जिस दिन नहीं आती बड़ा सुना-सा लगता था।

हमारे 11वीं के एग्जाम चल रहे थे, एक दिन वो जमींदार का बेटा "विनी" का रास्ता रोक कर 'छेड़छाड़' करने लगा। हम सब लड़कियाँ डर गई, दूसरे दिन हमने रास्ता बदल लिया, वो उस रास्ते पर भी हम लोगों का पीछा करने लगा,जैसे-तैसे हमारे एग्जाम ख़त्म हुए।

हमारे "अब्बू" का ट्रांसफर हो गया, छुट्टी ख़त्म होने से पहले ही हम लोग दूसरे शहर चले गए........।

"आज पन्द्रह साल बाद उसी शहर में मेरी मुलाकात एक टीचर से हुई, वहां हम बेटी का एडमिशन कराने गए थे, उस टीचर को मैनें पहचान लिया...

मैं बोली "अरे तुम "तनु" होना ...?

वो मेरी क्लास मेट थी, बात-चीत में 'तनु' से पूछा तुम "विनी" को जानती थी न ,वो कहां है ,कुछ मालूम है...?

उसने बताया ..अरे तुम्हें नहीं मालूम, उसके साथ क्या हुआ ?

मैं आश्चर्य चकित थी, मेरा सबसे सम्पर्क टूट गया था। दूसरे शहर चले गए थे।

तनु ने बताया "वो जमींदार का बेटा,"विनी" को बहुत परेशान करने लगा था....।

'विनी' के मामा के लड़कों ने उसे सबक सिखाने की ठान ली, भाईयों ने अपने खेत पर ले जाकर खूब पिटाई की उसकी ....।

उस जमींदार के बेटे ने अहम की लड़ाई बना ली...बदला लेने की ठान ली लगातार धमकी देने लगा.।

एक दिन "विनी" कॉलेज से लौट रही थी रास्ते में उस लड़के ने "एसिड अटैक" कर दिया........।

"विनी" अब हमारे बीच नहीं है...।


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