सभी को प्यार की ज़रुरत होती है day-18
सभी को प्यार की ज़रुरत होती है day-18
बच्चे हो या बड़े हों, सभी को प्यार की ज़रूरत होती है। प्यार और परवाह ऐसे खाद -पानी हैं, जिन्हें समय-समय पर दिए जाने से बंजर से बंजर भूमि में भी फूल खिल उठते हैं। रेडियो सुनते हुए सौम्या के कानों में यह शब्द पड़े।
किचेन में काम कर रहे सौम्या के हाथ कुछ पल के लिए थम से गए थे। " कितनी सही बात कह रहे हैं। लेकिन साथ ही साथ सब का प्यार जतलाने का तरीका अलग -अलग होता है।" अपने आप से कहते हुए सौम्या की नज़र किचन में सम्हालकर अच्छे से पैक करके रखे हुए डिशवॉशर और रोटी मेकर पर चली गयी थी।
उन दोनों उपकरणों को प्यार से निहारते हुए सौम्या के चेहरे पर एक मुस्कान खिल उठी थी और सौम्या के चेहरे पर फूलों सी ताज़गी थी।
" तुम इन दोनों उपकरणों को उपयोग में क्यों नहीं लेती हो ?शोरूम के जैसे सजाकर क्यों रखा हुआ है ?" , कल ही सुबह तो पीयूष ने पूछा था।
" एक तो मुझे न तो डिश वॉशर से धुले हुए बर्तन पसंद है और न ही रोटी मेकर से बनी हुई रोटी और दूसरा ये दोनों उपकरण मुझे बार-बार याद दिलाते हैं कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो और मेरा कितना ध्यान रखते हो ?" ,सौम्या ने मुस्कुराकर कहा था।
" तुम और तुम्हारी बातें या तो बिल्कुल फिल्मी या कवियों जैसी।" पीयूष इतना सा कहकर चले गए थे।
सौम्या थी भी बिल्कुल फ़िल्मी। रोमांटिक फिल्में देख -देखकर उसने भी अपने लिए फिल्मों जैसी ज़िन्दगी की कल्पना कर ली थी। पीयूष एक सीधा -साधा नौजवान था, जिसे अपने भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आता था। सौम्या और पीयूष की शादी हो गयी थी।
पीयूष एकदम सौम्या की कल्पनाओं के विपरीत था। वह फिल्मी हीरो जैसे न तो रोमांटिक बातें बना पाता था न ही रोमांटिक डिनर जैसा कुछ प्लान कर पाता था। ऐसा कुछ भी नहीं करता था जिसे सौम्या सोशल मीडिया पर शेयर करके लोगों की वाहवाही लूट सकें
सौम्या कई बार अपनी मम्मी से कहती थी कि, "आपने इनमें ऐसा क्या देखा ? मेरी कैसे लड़के से शादी कर दी। ये मुझसे ज़रा भी प्यार नहीं करते। "
" बेटा, उसे वक़्त दे। सभी का प्यार जताने का तरीका अलग -अलग होता है। पीयूष बहुत ही समझदार और रिश्तों की क़द्र करने वाला लड़का है।" माँ उसे बार-बार यही बात कहती थी।
सौम्या मन ही मन कुढ़ती हुई पीयूष के साथ रह रही थी। ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से चल रही थी। इसी बीच एक दिन सौम्या के पेट में बहुत तेज़ दर्द हुआ, पीयूष फ़ौरन उसे डॉक्टर के पास लेकर गए। सौम्या के गर्भाशय में एक गाँठ थी, जिसका ऑपरेशन करना जरूरी था।
डॉक्टर ने ऑपरेशन कर दिया। सौम्या और पीयूष दोनों की ही मम्मी ज्यादा दिन उनके पास रह नहीं सकती थी। डॉक्टर ने सौम्या को बेड रेस्ट के लिए कह दिया था। अतः पीयूष को ही सौम्या की पूरी देखरेख करनी थी।
सौम्या अपने घर का काम खुद ही करना पसंद करती थी, अतः उसके पास कोई घरेलू सहायिका भी नहीं थी। पीयूष सौम्या का बहुत अच्छे से ध्यान रख रहे थे। सौम्या थोड़ा बहुत घूम फिर सकती थी, पीयूष सब्जी आदि काट देते थे और सौम्या छौक देती थी।
पीयूष को सबसे ज्यादा स्ट्रगल रोटी बनाने और बर्तन साफ़ करने में करना पड़ रहा था। पीयूष ने २-४ दिन तो जैसे -तैसे किया, उसके बाद वह डिश वॉशर और रोटी मेकर लेकर आ गए। सौम्या ने जैसे ही सवालिया निगाहों से उनकी तरफ देखा तो बोले, " यार, तुम अकेले इतना कुछ कैसे कर पाती हो ?मैंने तो कभी इस और ध्यान ही नहीं दिया। अभी तो मेरा काम आसान हो जाएगा और इसके बाद तुम्हारा। "
सौम्या मन ही मन मुस्कुरा उठी थी। पीयूष के प्यार करने का तरीका भले ही अलग था, लेकिन वह उससे बहुत प्यार करते हैं। आज उसे अच्छे से समझ आ गया था।