सौतेली
सौतेली
अन्नू हैरान थी अपने सास के रवैये से जब से वह शादी करके आयी थी तबसे देख रही थी किसी न किसी बात को लेकर वे हंगामा कर देती। अपनी गरीबी के कारण माँ-बाप ने उसकी शादी दुहाजू वर से की थी जिसकी पाँच साल की बिटिया थी।
वह हर सम्भव प्रयास करती सबको खुश रखने का पर सास और पति का मुँह फूला ही रहता। बिटिया जैसे ही पास आती उसे यह कहकर अपने साथ ले जातीं कि यह तुम्हारी सौतेली माँ है। वह तिलमिला कर रह जाती कभी सोचती मायके वापस हो जाऊँ पर पिता पर और बोझ नहीं डालना चाहती, पढ़ी लिखी थी पर नौकरी करना पति की शान में बट्टा लगाना था। सास ने बेटे और पोती का कान ऐसा भरा था कि दोनों उससे नफरत करते। लड़की आठ साल की होने को आयी थी, वह जब -तब बाहर जाने की ज़िद करती और उसके मना करने पर नौकर विजय के साथ भेज देती। उसे वह नौकर बड़ा अजीब लगता कभी उसे घुरता तो कभी जवाब देता। एक दिन उसने पति से कहा तो उसकी खूब लानत-मलामत हुई।
दिन बीत रहे थे ठंड का मौसम शुरु हो चुका था एक दिन बेटी स्कूल से आते ही बाहर जाने की ज़िद करने लगी उसने मना किया तो सास ने विजय के साथ बाहर भेज दिया। लेकिन आज वह भी गुस्से में थी किसी काम का बहाना लेकर वह भी बाहर निकली देखती है कि विजय बिटिया को लेकर नौकरों वाले कमरे में जा रहा है वह भी बल पूर्वक। उसका माथा ठनका उसने यह सोचना छोड़ दिया कि, सास और पति उसकी कितनी दुर्दशा करेंगे। वह सौतेली माँ है यह भी उसे याद नहीं, गई दौड़ती हुई अंदर गई और तड़ातड़ विजय को चांटा रसीद कर दिया और अपनी बेटी को लेकर घर आ गई। पोती को रोती देख दादी का गुस्सा भड़क गया वह वे अनाप-सनाप बकने लगीं उसी समय उसके पति भी आ गये माँ को गुस्से में देखकर वह भी भड़क गये जैसे ही पत्नी पर हाथ उठाना चाहा बेटी ने बीच में आकर रोक दिया और सभी सच्चाई बता दी अपनी सौतेली माँ की। तब माँ बेटे का चेहरा देखने लायक था। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई और विजय को जेल भेजा गया। आज उसकी बिटिया ने ही उसकी सौतेली माँ की पदवी उतार फेंकी और सर्वोतम शब्द माँ से नवाजा ।