Sri Sri Mishra

Tragedy

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Sri Sri Mishra

Tragedy

सौतेली मां का स्पर्श

सौतेली मां का स्पर्श

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संजू की उम्र यही कोई ढाई साल की थी । लंबी बीमारी के बाद उसकी मांँ का देहांत हो गया । वह अपनी माता-पिता का इकलौता संतान था । अब उसके पिता और वह अकेले ही बचे थे घर में । संजू अभी बहुत छोटा था । इसलिए उसके पिता ने सोचा दूसरी शादी करके इसके लिए नई माँ ले आते हैं क्योंकि अभी संजू की परवरिश की बहुत जरूरत है । उसमें संस्कार भरना है ।

जिंदगी बहुत बड़ी है इसलिए उन्होंने दोबारा शादी करने का मन बना लिया और शादी करके संजू के लिए नई माँ ले आए ।

संजू उम्र के साथ धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था । अब उसको स्कूल में डालना था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था ।संजू अपनी इस मांँ को "नई मांँ" बुलाता था । उसकी नई मांँ उसे पढ़ाती थी । संजू अब धीरे-धीरे बड़ी क्लास में आ गया । उसके दोस्त कभी-कभी आपस में बात करते कि मेरी मांँ ने आज टिफिन में मंचूरियन दिया है।

कोई कहता मेरी मांँ ने पनीर की सब्जी पराठा दिया है । इसमें संजू भी बीच में बोल पड़ता मेरी मांँ मेरी नई मांँ ने मुझे टिफिन में कटलेट दिया है । इस पर उसके सारे दोस्त पूछते कि तुम नई मांँ क्यों कहते हो ..???

इस पर संजू ने अपने दोस्तों को जवाब देते हुए कहा.."क्योंकि मेरे पापा ने दूसरी शादी की है और यह मेरी नई मांँ है । मेरी अपनी मांँ का देहांत हो गया ।"

यह सुनकर सभी दोस्त उसकी खिल्ली उड़ाते और कहते नई मांँ कभी ज्यादा प्यार नहीं करती ।

अपनी माँ ही प्यार करती है । कई बार संजू यह बात जब अपने दोस्तों के मुंँह से सुनता तो उसकी भावनाओं को चोट लगती और धीरे-धीरे कहीं न कहीं यह बात उसके मस्तिष्क पर और हृदय पर बैठती चली गई।

अब वह अपनी मांँ के व्यवहार से खिन्न रहने लगा । अब वो पहले की तरह अपनी नई मांँ से ना बोलता ना हंँसता ना खेलता । इस पर उसकी नई माँ भी बहुत परेशान होती और कई बार वह कारण जानने की सोचती ।लेकिन संजू कुछ नहीं बताता।

धीरे-धीरे संजू की उम्र उच्च शिक्षा की हो गयी।और वह शहर से दूर कॉलेज में दाखिला लेने के लिए चला गया । उसने एक बार भी अपनी नई मांँ को नहीं देखा । लेकिन उसकी नई मांँ उसके लिए तरह-तरह के नाश्ता पकवान बना कर उसे देने के लिए उसके कॉलेज उसके पिता के साथ पहुंँच गई । लेकिन संजू एक बार भी अपनी नई मांँ के प्यार और भावना को नहीं समझ पाया और उसने यह सब नाश्ता अपने दोस्तों में बांँट दिया ।

यह कहकर कि मेरी नई माँ ने औपचारिकता में बनाया है। उसको मुझसे कोई प्यार नहीं है । वह केवल मेरे पिताजी को दिखाने के लिए यह सब करती है ।सके दोस्त यह बात सुनकर हैरान होकर कहते हैं...

"ऐसा कैसे हो सकता है" लेकिन संजू एक भी सुनने की नहीं तैयार था । कहते हैं ना...

कोमल ह्रदय पर कैसा भी बीज डाल दिया जाए । वह उसी रूप में वृक्ष का विशाल रूप ले लेता है।

ऐसा ही कुछ संजू के साथ भी हुआ । लेकिन कई बार उसके दोस्त उसे बहुत समझाते कि तुम्हारी नई मांँ कैसी भी हो ..लेकिन अगर तुम्हें वह जरा भी प्यार ना करती तो इतना सब कुछ बनाकर तुम्हारे लिए यहांँ ना लाती ।

इस पर संजू यह सुनकर वहांँ से उठकर चला जाता ।

एक दिन अचानक ठंड लग जाने से संजू की तबीयत बिगड़ जाती है और वह कई दिनों तक बीमार रहने लगा। इस पर उसके दोस्तों ने उसके पिताजी को फोन करके संजू का हाल बताया और उसके पिताजी यह सुनकर उसे लेने के लिए आ गए और ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया ।

लेकिन संजू की तबीयत इतनी ज्यादा बिगड़ गई थी कि अब उसके शरीर में खून की कमी हो गई थी और उसे खून की जरूरत थी ।लेकिन उसका खून आसपास के रिश्तेदारों से मैच नहीं हो रहा था और ना ही उसके पिताजी का मैच हुआ ।

यह सब देख कर उसकी नई मांँ घबरा गई और उसने डॉक्टर से कहा कि "आप मेरा खून टेस्ट कीजिए हो सकता है मेरा मैच हो जाए" और संयोगवश उसका संजू से मैच कर गया । लेकिन उसकी नई माँ ने संजू के पिताजी से यह वादा लिया कि संजू को यह कभी मत बताइएगा कि मैंने खून दिया है वरना वह कभी मुझसे बात नहीं करेगा।

हमेशा ही ऐसे ही नाराज रहता है मुझसे । उसके पिताजी ने वचन दिया ठीक है ..और धीरे-धीरे जब डॉक्टर ने उसकी नई मांँ द्वारा खून संजू को चढ़ाया ।

तब संजू की हालत में सुधार होने लगा और वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया ।

स्वस्थ होते ही उसने पिताजी से पूछा..." पिताजी मुझे खून किसने दिया ..??"

इस पर उसके पिताजी चुप्पी साध गए और संजू अपनी नई मांँ से तो बोलता ही नहीं था ।

एक दिन अचानक सफाई करते वक्त उसकी नई मांँ का पैर फिसल गया और पैर की हड्डी टूट गयी। जिससे बाल लंबे समय तक वह बिस्तर पर ही रही । लेकिन संजू ने एक बार भी अपनी नई मां का कोई हाल नहीं लिया और एक दिन ऐसा आया कि उसकी नई मांँ का देहांत हो गया। उसके पिताजी द्वारा नई मांँ का देहांत की खबर सुनने पर संजू आ तो गया लेकिन अंतिम संस्कार में केवल औपचारिकता से ही शामिल था।

आज उसके इस व्यवहार पर उसके पिताजी को बहुत गुस्सा आ रहा था और उनके सब्र का बांँध टूट गया ।आज उन्होंने सारे राज संजू के सामने खोल दिए.. कि तुमने जिस मांँ को कभी प्यार भरी नजर से भी नहीं देखा । उसने ही तुमको जीवन दिया है । वह तुम्हारे ना रहने पर भी तुम्हारी सुरक्षा और तुम्हारी चिंता लगाए रहती थी । उसके दिए गए खून से ही तुम्हें जीवन मिला है ।

यह सुनकर संजू अवाक रह जाता है।

यह सुनकर संजू की आंँखों से पश्चाताप के आंँसू गिरने लगते हैं । लेकिन अब पछताने से कोई फायदा नहीं था। क्योंकि अब इस धरती पर उसकी मांँ नहीं थी ।

आज संजू टूट-टूट कर रोए जा रहा था और अपने आपको अभागा कहे जा रहा था कि जिसने मुझे जन्म दिया वह भी इस धरती पर नहीं रही और जिसने मुझे पाला- पोसा..

आज वह भी इस दुनिया से चली गई ।

मैं कैसा अभागा हूंँ कि समय रहते मुझे किसी चीज का कोई भान नहीं रहा । आज उसकी यह हालत देख कर उसके पिता को कहीं न कहीं मन में शांति तो मिल ही रही थी कि कम से कम आज वह अपनी मांँ के लिए इतना परेशान है और आंँखों में उसकी मांँ के लिए आंँसू हैं । लेकिन आज पछताने के सिवा संजू के पास कुछ नहीं था।

कहते हैं ना...

है एक कर्ज जो हरदम सवार रहता है ।

वह मांँ का प्यार है सब पर उधार रहता है।

संसार में चाहे कितने भी सुंदर चेहरे हो ।

लेकिन माँ से सुंदर कोई भी चेहरा नहीं होता ।

उसी तरह माँ के लिए भी सबसे सुंदर चेहरा उसकी संतान का होता है।

मांँ भगवान का दूसरा रूप है । वह इंसान कभी गरीब नहीं हो सकता । जिसके ऊपर मांँ का साया है।

मांँ ही है... जिसने ध्रुव, प्रहलाद , गुरु नानक , कबीर दास , तुलसीदास और बहुत से महान पुरुषों को जन्म दिया । इन सब के महान बनने का कारण केवल माँ ही है । माँ ही बच्चों की प्रथम गुरु होती है। जिस मांँ को संजू आज तक सौतेली समझ रहा था ।

आज उसी सौतेली मांँ का स्पर्श उसे कहीं ना कहीं हो रहा था । इसीलिए उसके आंँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे..।



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