दिल ही दिल में
दिल ही दिल में
अब राजवीर की तबीयत बिल्कुल स्वस्थ हो गई है । अब उसके साथी और पीहू भी बहुत खुश है। आज राजवीर पीहू से कहता है । चलो आज मैं तुम्हें तुम्हारे शहर तुम्हारे बाबा के घर छोड़ देता हूंँ। यह सुनकर पीहू बहुत खुश हो जाती है। वह इतने दिनों बाद अपने बाबा से मिलेगी और उसके बाबा उसे जिंदा सुरक्षित देखकर कितना खुश होंगे। यह सोच सोच कर पीहू बहुत खुश हुए जा रही थी। किंतु वहीं दूसरी तरफ इस जगह से बिछुड़ने का उसे कहीं ना कहीं गम भी हो रहा था। वह यहांँ पर आई तो थी। एक लुटेरे के साथ जिसने पैसों की लालच में उसका किडनैप किया था ।लेकिन अब वह एक अच्छे इंसान में तब्दील हो गया है और उसका बहुत अच्छा दोस्त भी बन गया है। वह अपने दोस्त के बिछड़ने के दुख में भी है और इस जगह जहांँ पर उसने जीवन में पहली बार इतनी हरियाली पशु पक्षियों को इतने करीब से देखा था या यूंँ कहें इतनी हरी-भरी प्रकृति के करीब पीहू रही ।जो कि इतनी हरियाली शहरों में उसे कभी नहीं देखी। आज वह याद के रूप में यहांँ से कुछ पौधे ले जा रही है। पीहू की आंँखों में आंँसू हैं। राजवीर यह देखकर पीहू से पूछता है ।
तू रो क्यों रही है ।.अब तो तू खुश हो जा.. तू अपने बाबा के पास जा रही और मैं तेरे बाबा से कोई पैसे भी नहीं लूंँगा । मैंने अपने सारे इरादे बदल दिए हैं । यह सुनकर पीहू खुश हो जाती है और कहती है ।
राज इन बातों पर विश्वास किया जा सकता है..
मुझे लगता है जिंदगी ऐसी ही है। अपनी आंँखों में एक सपना बसा लो उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा दो। अच्छा इंसान वह नहीं जो सिर्फ अच्छा दिखे बल्कि वह अच्छा होता है जिसकी सोच अच्छी हो। यह सुनकर राजवीर कहता है । हांँ तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो।
इस पर पीहू राजवीर से पूछती है ।तुम मुझे छोड़ कर फिर कहांँ जाओगे। यह सुनकर राजवीर कहता है। मैं किसी अच्छे काम धंधे पर की तलाश में निकल जाऊंँगा ।लेकिन मुझे अभी कुछ लोगों से बदला लेना है । इस पर पीहू उसे फिर समझाती है । जो कमजोर होते हैं । वह बदला लेते हैं। समझदार तो माफ कर देते हैं ।लेकिन यह अद्भुत शक्ति सब में नहीं होती ।यह सुनकर राजवीर कहता है चल तेरे कहने से वह भी छोड़ा। इस पर पीहू खुश होकर कहती है ।अब तुम एक अच्छे इंसान हो कभी किसी से बदला लेने की मत सोचो। सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाओ ।मत भूलो कि लोहे का सिक्का भी एक मिट्टी के गुल्लक में सुरक्षित होता है । जिस तरह बिना पतझड़ के पेड़ों पर नए पत्ते नहीं आते ।उसी तरह बिना संघर्ष के सफलता नहीं मिलती ।
थोड़ी ही देर में पीहू और राजवीर उसके साथी शहर की ओर निकल पड़ते हैं ।पीहू मन ही मन राजवीर के बारे में ही सोच रही थी । फिर धीरे से उसने राजवीर से पूछा फिर अब हम कब मिलेंगे। इस पर राजवीर बोला.. ऊपरवाला जाने । इस पर पीहू फिर बोली राज तुम जानते हो ..
मैं क्या कहना चाहती हूंँ ??
इस पर राज बोला.. तुम एक अच्छे घर से हो मेरा तुम्हारा कोई मेल नहीं है कहां तुम और कहां मैं ..। लेकिन राज मैं तुम्हें दिल ही दिल में स्वीकार चुकी हूंँ।
थोड़ी ही देर में पीहू का शहर आ जाता है और देखते ही देखते पीहू का घर । पीयू ने दरवाजे पर खटखट की तो पीहू के बाबा ने दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही पीहू को देखकर उसके बाबा की आंँखों में भरभरा कर आंँसू गिर आए और वह बोले ... तू जिंदा है मैंने तो सारी आस ही छोड़ दी थी । तू तो जानती है मेरे पास इतना पैसा भी नहीं था कि मैं थाना पुलिस करता। इस पर पीहू ने कहा बाबा देख आपकी बेटी जिंदा है और सुरक्षित भी है।
मुझे एक खरोच तक भी नहीं आई। इस पर उसके बाबा ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहते हैं। यह मेरे किसी जन्म का पुण्य था ।जो तू जिंदा बच गई ।मैं तो पूरी आस छोड़ चुका था ।रोते-रोते मेरी आंँखों के आंँसू भी सूख गए । पीहू तू थी कहांँ और उसके बाबा की नजर राजवीर उसके साथियों पर पड़ती है तो वह पूछते हैं बेटी यह लोग कौन हैं...?? इस पर पीहू कहती है ..यह वही है बाबा जो मुझे किडनैप करके ले गया था पैसों की लालच में।
लेकिन अब यह बदल चुका है अच्छे इंसान के रूप में। बाबा तूने जो मुझे संस्कारों की अच्छी बातें सिखाई थी। शायद उन्हीं के बल पर मैं बच गई और इन लोगों का भी हृदय परिवर्तन हो गया । इस पर राजवीर पीयू के बाबा के पैर छूते हुए कहता है। मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई ।आपकी बेटी ने मेरा जीवन सुधार दिया। अब मैं गलत रास्ते पर नहीं चलूंँगा और अच्छे रास्ते पर चलकर एक अच्छा इंसान बनूंँगा ।यह कहकर वह पीहू और उसके बाबा से विदा लेने लगता है इस पर पीहू कहती है। राज तुम अपने लक्ष्य में सफल होना । मैं तुम्हारा इंतजार करूंँगी । इस पर राज कहता है ठीक मैं समय आने पर तुम्हारे बाबा से तुम्हारा हाथ मांँग लूंँगा । लेकिन तब तक मुझे एक अच्छे काम की तलाश करके खुद को एक सफल शख्सियत बनानी होगी। और यह कह कर वह अपने साथियों समेत चला जाता है । पीहू उसे तब तक देखती रहती हैं । जब तक वह आंँखों से ओझल नहीं हो जाता।।
सच है इंसान को संगत का रंग किसी भी रूप में बदल सकता है। जिस तरह राजवीर एक बुरे इंसान से अच्छे इंसान में बदल गया।