सुपर मॉम
सुपर मॉम
आज का विषय भावुक कर देने वाला है......।
मांँ की आंखों का कैमरा.....क्या कहना......आज मुझे हर बात याद आ जाती है । जो बचपन में मांँ के साथ हर चुलबुली शरारती हरकतें....मैं किया करती थी।...
स्कूल की छुट्टियांँ हो जाने पर.. मांँ की यह आदत थी.. कि मुझे वह पाती तो हर पाक कला में निपुण बना देती । लेकिन मैं कोई कम नहीं थी.......। मर्जी हो तो किचन में गए ..नहीं मर्जी हो तो बस.. कुछ भी बहाना बनाकर अपनी मस्ती में मस्त हो जाती थी मुझे कॉमिक्स पढ़ना बहुत अच्छा लगता था.. मैं उसमें ही खोई रहती थी......।
नहीं तो मैं अपने फ्रेंड्स लोगों के साथ घूमने निकल जाती थी.....।
लौटने पर तो डांँट खानी ही थी ...!! .
उस को कौन रोक सकता था..?? कितने भी बहाने बनाओ ..लेकिन मांँ मेरी हर बात को पकड़ कर प्रमाण समेत रख देती थी आगे..
पढ़ने का मुझे शुरु से ही शौक बहुत था..। इसलिए मांँ की बातों को ज्यादा.. मैं गंभीरता से ना लेकर जाने कितनी किताबें धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में ही समय बिताया करती थी.......।
लेकिन कहते हैं ना जब समय आता है। तब अपने आप सारे गुण आपके अंदर आ जाते हैं ।आप हर चीज को सीखने लगते हैं ..वैसे ही कुछ मेरे साथ भी हुआ..। आखिरकार माँ का सपना साकार हुआ और मांँ बहुत खुश होने लगी कि मेरी बेटी को ठीक-ठाक खाना बनाना आ गया। घर के सारे काम संँभालना आ गया और मैं भी खुश हो जाती थी.. कि मांँ को मुझ पर अच्छी बेटी होने का गर्व है..। बाकी अंदर का हाल तो मैं जानती थी कि मैं उन के डर से कर रही हूंँ.. लेकिन जो भी हो आज मेरे अंँदर जो भी अच्छे गुण है । मेरी मांँ की ही देन है.....।
मैं अगर डरती थी ..मेरे लिए सबसे खतरनाक अलार्म होता था.. मांँ की चूड़ी की खनक..
उन की खनक सुनते ही मैं अलर्ट हो जाती थी..
उनकी आंँखों में ऐसा तेज है कि वह बिना बताए ही मेरी हर बात समझ जाती हैं ..सामने होने की तो जरूरत ही नहीं...आज भी फोन पर मेरी आवाज सुनते ही उनको यह पता चल जाता है.. कि मैं उदास हूं या खुश हूं या कोई बात मुझे परेशान कर रही है.......
वाह ! ईश्वर...माँ जैसा कौन सा तूने फरिश्ता बनाया..
इस पहेली को आज तक कोई भी न जान पाया....
खुलती बंँद होती उनकी आंँखों की चमक मानों.. कैमरे के फ्लैश ऑन ऑफ होते रहते हैं..। वह अपने औलाद से कितनी भी दूर क्यों ना हो..!! उनके दुख सुख का आभास उनको दुनिया के दूर बैठे किसी कोने में ही क्यों ना हो....!! आभास हो ही जाता है... यह कैसा ह्रदय ईश्वर ने मांँ को दिया है.. उसके हृदय की भावनाओं के सागर को आज तक कोई नहीं नाप पाया.....।
घर कितने लोगों से भी भरा हो...किंतु माँ ना हो तो खाली है.. माँ ही घर की आत्मा है......। उसके होने से ही घर स्वर्ग जैसा लगता है..
गर मुश्किलों का आना जीवन में
जिंदा... होने की निशानी है...
उन मुश्किलों को आसान बनाना..
आंँखों से बरसती दुआएँ उसकी मेहरबानी है..
प्रेम स्पर्श के उसके आयाम का क्या कहना..
अर्पण करती जीवन.. सुंदर उसका अपना गहना...।