ऊंची इमारत के लोग गुब्बारे वाल
ऊंची इमारत के लोग गुब्बारे वाल
नीली गाड़ी चमचमाती हुई एक महंँगे रेस्टोरेंट के सामने आकर रूकती है । गाड़ी रुकते ही एक लड़का जो गुब्बारे बेचता है वह गाड़ी के शीशे से झांँक कर कहता है।
बाबूजी गुब्बारे ले लो ₹20 का एक हैले लो बाबू जी आपका बच्चा खेलेगा।
इतना सुनते ही गाड़ी का मालिक उतरते हुए कहता है।
दूर हटो गाड़ी का शीशा मत गंदा करो गाड़ी मत छुओ।
यह सुनकर वह लड़का थोड़ी दूर हो जाता है और फिर से वही रट लगाने लगता है बाबूजी गुब्बारे ले लो।
इतने में गाड़ी में बैठा बच्चा भी गुब्बारों को देखकर मचल जाता है और यह कहता है पापा मुझे बैलून लेने हैं।
इतना सुनते ही गाड़ी का मालिक कहता है।
अच्छा रुको हम लोग रेस्टोरेंट्स खाना खाकर आते हैं और फिर तुम्हारे गुब्बारे लेंगे।
इतने में वह लड़का बहुत खुश हो जाता है और उसकी आंखों में चमक सी आती है कि आज उसके गुब्बारे बिक जायेंगे और वह उसी गाड़ी के पास बैठ कर उन लोगों का इंतजार करने लगता है।
थोड़ी ही देर में वह परिवार खाना खाकर रेस्टोरेंट से बाहर निकलता है और उसी गुब्बारे वाले के पास आकर रुकते हैं।
इतने में उस गाड़ी मालिक का बच्चा जिद करने लगता है। पापा मुझे रेड वाला लेना है वह ब्लू वाला भी लेना है ।
यह सुनकर गाड़ी मालिक उस गुब्बारे वाले लड़के से कहता है।
कितने का बेच रहे हो गुब्बारा।
जी बाबू जी ₹20 का एक
यह कहते हुए वह गुब्बारे निकालने लगता है
यह सुनकर गाड़ी मालिक कहता है बहुत महंँगा बेच रहे हो ₹10 का रेट लगाओ।
नहीं बाबू जी इतनी कड़कती ठंड में हम गुब्बारे बेचते हैं ₹20 भी ना मिले तो बेकार है
नहीं नहीं फिर भी बहुत महंगा है
यह कहते हुए उस गुब्बारे वाले लड़के के हाथ पर ₹20 रखकर दो गुब्बारे लेकर अपने बच्चे के हाथ में दे देते हैं
नहीं बाबू जी कम हैं
कोई कम नहीं है यही रेट है मुझे बेवकूफ बना रहे हो
अभी बच्चे हो थोड़ा और बड़े हो जाओ तब अकल लगाना ।
और गाड़ी मालिक का बच्चा गुब्बारों से खेलने लगता है । और दूसरे हाथ में महंगी आइसक्रीम ले रखी है ।
और गाड़ी तेज रफ्तार में चल देती है।
और चलती गाड़ी से उस बच्चे ने आइसक्रीम को यह कह कर फेंक दिया ,पापा मुझे यह फ्लेवर नहीं पसंद है।
इतने में गुब्बारे वाला उस आइसक्रीम को उठा लेता है और बड़ी चाव से खाने लगता है।
और यह कहकर चिल्लाता हुआ दौड़ता हुआ वापस अपने घर की ओर चल देता है।
कि आज तो मेरे गुब्बारे बिक गए और आइसक्रीम भी मिल गई। भले ही उसको गुब्बारों के आधे दाम मिले थे।
लेकिन उसको जितना मिला था। वह उसमें खुश था और वह आइसक्रीम को वह बड़े मजे से खा रहा था।
ऊंँची इमारतों में रहने वाले रईस लोग जिस चीज को फेंक कर अपनी शान समझते हैं और सड़क पर रहने वाले वही गरीब लोग उसे पाकर अपनी किस्मत समझते हैं।
आज उस लड़के के चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं था
कोई गुब्बारे खरीद कर खुश था और उसके विपरीत कोई गुब्बारे बेचकर खुश था लेकिन किस्मत ने दोनों को बांँट रखा था।
कोई महंगी एसी गाड़ी में नहीं खुश था कोई सड़क पर रहकर संतुष्ट था।
सच है!!!
ऊँची इमारत में रहने वाले और बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने वालों के दिल उतने ही छोटे होते हैं उन्हें यह नहीं पता होता
अहंकार से भरी गुबार गुब्बारे सी जिंदगी ना जाने कब फूट जाए
जब भी जीवन में मिले मौका क्यों ना किसी की मुस्कुराने की वजह बन जाएँ।
है तो बहुत छोटा सा गुब्बारा पर देखिए सीख वही
उड़ने के उसके पंख नहीं फिर भी ऊंची उड़ान बड़ी।